भाजपा जिलाध्यक्षों ने संगठन की बैठक में बताए हार के चौंकाने वाले कारण

punjabkesari.in Saturday, Feb 03, 2018 - 11:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राजस्थान में तीन उपचुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की करारी हार के बाद पार्टी ने अलवर अजमेर शहर तथा ग्रामीण और भीलवाड़ा के जिलाध्यक्षों को जयपुर तलब किया और हार के कारणों पर रिपोर्ट मांगी।

शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी सतीश भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर के साथ हुई बैठक में सभी जिलाध्यक्षों ने हार के जो कारण बताएं वे चौंकाने वाले रहे। सभी जिलाध्यक्षों ने एक स्वर में कहा कि तीनों जगह पार्टी के उम्मीदवार कार्यकर्ताओं के ही गले नहीं उतरे, आम मतदाताओं की तो दूर की बात है। सभी अध्यक्षों ने राय व्यक्त की कि चुनाव से ठीक पहले अलग अलग समाजों को बुलाकर बात करने का विपरीत असर रहा क्योंकि इससे कार्यकर्ता अलग थलग पड़ गए थे। हैरत की बात यह सामने आई कि सभी जिलाध्यक्षों ने चुनाव पूर्व अपनी रिपोर्ट में इन तीनों प्रत्याशियों को टिकट नहीं देने की आलाकमान से सिफारिश की थी।

बैठक में अलवर जिलाध्यक्ष धर्मवीर शर्मा, अजमेर शहर अध्यक्ष अरविंद यादव और ग्रामीण बीपी सारस्वत, भीलवाड़ा जिलाध्यक्ष दामोदर अग्रवाल के साथ जयपुर ग्रामीण के अध्यक्ष दीनदयाल शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार अजमेर लोकसभा उपचुनाव में हार का प्रमुख कारण कमजोर उम्मीदवार के साथ साथ मुकाबला जाट और दूसरी जातियों के बीच होना रहा। इससे दूसरी जातियों के मतदाताओं पर विपरीत असर पड़ा। इसके अलावा पार्टी प्रत्याशी रामस्वरूप लांबा को किसी बड़े नेता ने अपने साथ नहीं लिया यहां तक कि मुख्यमंत्री ने भी अपने अजमरे दौरे में लांबा को साथ नहीं रखा, इसका आम मतदाताओं में संदेश गलत गया।

दूसरी और कांग्रेस को गुर्जरों, राजपूतों और ब्राह्मणों का खुलकर समर्थन मिला तो सरकार से नाराजगी भी एक प्रमुख कारण रहा। यह भी बताया गया कि अजमेर के दो विधायकों वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल के आपसी विरोध का चुनाव पर ऐसा असर रहा कि आम कार्यकर्ता ही असमंजस में रहा। अजमेर में मुस्लिम वोट तोडऩे के लिए हर विधानसभा से डमी प्रत्याशी उतारने के प्रयोग से मुसलमानों में तीखी प्रतिक्रिया रही और उन्होंने कांग्रेस का जमकर साथ दिया।

अलवर लोकसभा उपचुनाव में हार के कारणों में यादव वोटों के बंटवारे को लेकर श्रममंत्री जसवंत यादव को कांग्रेसी उम्मीदवार डॉ कर्णसिंह के सामने उतारने का प्रयोग एकदम विफल रहा क्योंकि जसवंत यादव के खिलाफ दो मुद्दों को लेकर जनता में नाराजगी बताई गई। एक जिला परिषद में भाजपा के पास बहुमत होने के बावजूद पार्टी प्रत्याशी अनुराधा शेखावत के विरुद्ध कांग्रेसी उम्मीदवार रेखा यादव को जिताना और दूसरा अलवर सरस डेयरी अध्यक्ष बन्नाराम के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में लाखों रुपयों के गबन की पुष्टि होने के बाद भी उसे बचाना मतदाताओं को रास नहीं आया। नतीजा यह रहा कि यादव वोट 90 प्रतिशत कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में गए, भाजपा उम्मीदवार तो अपने निर्वाचन क्षेत्र बहरोड़ में भी नहीं जीत पाए।

मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की हार का कारण आम मतदाताओं में राजपूतों के खिलाफ नाराजगी रही और पदमावत फिल्म के विरोध के माहौल ने इस नाराजगी को हवा दे दी। बिजौलिया में खान संबंधी मुद्दे का विरोध खुलकर सामने आया तो यहां भाजपा के नेताओं के प्रति आम कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी कदर थी कि उन्होंने खुलकर कांग्रेसी उम्मीदवार का साथ दिया।


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