विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में धनतेरस पर कोर्ट का बड़ा एक्शन, गोस्वामी समाज ने कार्रवाई पर उठाए सवाल, कहा- सेवायतों और मीडिया को क्यों रखा दूर ?
punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 07:43 PM (IST)

International Desk: एक तरफ जहां पूरी दुनिया में बसे भारतीय दिवाली की खुशियां मना रहे हैं वहीं विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर में धनतेरस के दिन बांके बिहारी के भक्तों और गोस्वामी समाज की आस्था को बड़ा झटका लगा है। बांके बिहारी मंदिर में 54 वर्षों से बंद पड़ा तोषखाना (खजाना कक्ष) शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित हाई पावर कमेटी की निगरानी में खोला गया। यह कक्ष मंदिर के गर्भगृह के पास स्थित है और इसमें मौजूद अमूल्य आभूषण, संपत्ति और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
मथुरा वृंदावन:
बांके बिहारी मंदिर का खजाना खोलने की हलचल तेज।
आज धनतेरस के दिन, 54 साल बाद बांके बिहारी का खजाना खुलेगा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर्ड कमेटी ने 18 सितंबर को खजाना खोलने के लिए समिति बनाई थी।
खजाना खोलने के लिए प्रशासन, पुलिस, वन विभाग और फायर विभाग की टीम… pic.twitter.com/FjbPDEdKFm
— India News UP/UK (@IndiaNewsUP_UK) October 18, 2025
श्री बांके बिहारी मंदिर वृंदावन में प्रशासन कमेटी की मन मर्जी नहीं चलेगी !
— Anant Goswami (@anantgoswami987) October 18, 2025
प्रशासन कमेटी ठाकुर जी के खजाने पर से नजर हटाके मंदिर की व्यवस्था पर ध्यान दें! @ZeeNews @aajtak @upadhyayabhii @PMOIndia #BankeBihariCorridor pic.twitter.com/Ru15hzTnjg
तोषाखाना का खुलना नया अध्याय
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित इस मंदिर का तोषखाना लंबे समय से बंद पड़ा था, और इसके खुलने की प्रक्रिया को लेकर लंबे समय से चर्चाएं चल रही थीं। सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की थी कि मंदिर की संपत्ति का ऑडिट, मूल्यांकन और खजाने का खुलना पूरी पारदर्शिता के साथ हो। मंदिर प्रशासन ने बताया कि तोषखाने में एक लकड़ी का संदूक बरामद हुआ है, जिसमें ठाकुर जी के अमूल्य आभूषण और महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होने की संभावना है। संपत्ति की विधिवत सूची बनाई जा रही है और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जा रही है ताकि किसी प्रकार का संदेह न रह सके।
गोस्वामी समाज की आपत्ति
हालांकि, गोस्वामी समाज के प्रतिनिधियों ने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। श्री बांके बिहारी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर गोस्वामी अनंत श्रीहरिदास श्री बांके बिहारी मंदिर श्री धाम वृंदावन का कहना है कि यह प्रक्रिया चुनिंदा लोगों तक ही सीमित की गई है, जबकि इसे सभी सेवायतों और मीडिया व प्रतिनिधियों के सामने होना चाहिए। मीडिया को भी प्रक्रिया से दूर रखा गया है, जिससे संदेह उत्पन्न हो रहा है। समाज के प्रतिनिधि रजत गोस्वामी ने कहा, “इतने वर्षों के बाद खजाना खोला जा रहा है, इसे बंद कमरे में नहीं बल्कि सभी के सामने किया जाना चाहिए। मीडिया को दूर रखना उचित नहीं है।” गोस्वामी अनंत ने कहा कि बांके बिहारी मंदिर की भक्ति और आकर्षण केवल भारत तक सीमित नहीं है। यूरोप, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के कई देशों से श्रद्धालु वृंदावन आते हैं। विशेष अवसरों जैसे जन्माष्टमी, होली और दीपावली पर विदेशी भक्तों की संख्या भी काफी बढ़ जाती है। कई अंतर्राष्ट्रीय हिंदू संगठनों और ISKCON जैसे वैश्विक धार्मिक संस्थानों के माध्यम से मंदिर की लोकप्रियता और प्रचार हुआ है। ऐसे में कमेटी इस कार्रवाई ने श्रद्धालुओं व गोस्वामी समाज को ठेस पहुंचाई है।
दुनिया में प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर का 54 वर्षों से बंद पड़ा तोषखाना शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई पावर कमेटी की निगरानी में खोला गया।श्री आचार्य महामंडलेश्वर गोस्वामी अनंत श्रीहरिदास सहित सारे गोस्वामी समाज ने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। pic.twitter.com/HqLlXtpRlB
— Shere punjab News (@news_shere) October 18, 2025
प्रशासन का पक्ष व उच्चस्तरीय कमेटी की भूमिका
मंदिर प्रशासन और कोर्ट द्वारा गठित समिति ने कहा कि सभी नियमों और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। एडीएम पंकज वर्मा ने स्पष्ट किया कि संपत्ति की सूची बनाते समय और वीडियोग्राफी करते समय सुरक्षा और गोपनीयता का ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि संपत्ति का पूर्ण विवरण और मूल्यांकन होने के बाद ही जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने बताया कि समिति संपत्ति का ऑडिट और मूल्यांकन कर रही है। उनका कहना है कि तोषखाने में मौजूद संपत्ति की वैधता और ऐतिहासिक महत्व का ध्यान रखते हुए सभी प्रक्रियाएँ पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की संपत्ति और तोषखाने की निगरानी के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की थी। कोर्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि मंदिर की संपत्ति का मूल्यांकन, ऑडिट और खजाना खोलने की प्रक्रिया सभी नियमों और पारदर्शिता के अनुरूप हो।