Bank Nominee Rule: अब संपत्ति बंटवारे में होगी सरलता, नए बैंक नियम से ग्राहकों को मिली बड़ी राहत
punjabkesari.in Thursday, Dec 12, 2024 - 11:17 AM (IST)
नेशनल डेस्क: हाल ही में भारतीय संसद के शीतकालीन सत्र में पारित बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 के बाद से बैंक खाताधारकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। अब बैंक खाताधारक अपने बैंक खाते में न केवल एक, बल्कि चार नॉमिनी जोड़ सकेंगे। यह नया नियम न केवल बैंक खातों के लिए लागू होगा, बल्कि बैंक लॉकरों और अन्य बैंकिंग सेवाओं के लिए भी इस प्रावधान का पालन किया जाएगा। इससे बैंक खातों में जमा धनराशि के बंटवारे में होने वाली समस्याओं और कानूनी विवादों को खत्म करने में मदद मिलेगी।
बैंक खातों में चार नॉमिनी जोड़ने की सुविधा
पहले की व्यवस्था के तहत बैंक खातों में केवल एक ही नॉमिनी (नामित व्यक्ति) को जोड़ने की सुविधा थी, लेकिन अब नए नियमों के अनुसार बैंक खाताधारक एक की जगह चार नॉमिनी जोड़ सकते हैं। इसका मतलब है कि अब खाताधारक अपनी जमा राशि को चार विभिन्न व्यक्तियों में बांट सकते हैं, जिससे धन के वितरण में पारदर्शिता और आसानी होगी। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति अपनी पत्नी, बच्चों, माता-पिता या किसी अन्य परिवार सदस्य को नॉमिनी बना सकता है, और यह भी तय कर सकता है कि किसे कितनी राशि मिलेगी।
बैंक लॉकरों और अन्य सेवाओं के लिए भी होगा लागू
यह नया नियम केवल बैंक खातों के लिए नहीं है, बल्कि बैंक लॉकरों और अन्य बैंकिंग सुविधाओं के लिए भी लागू होगा। इससे बैंक लॉकरों में रखे गए सामान, जैसे सोने-चांदी के आभूषण या अन्य मूल्यवान वस्तुएं, उनके स्वामित्व और वितरण में भी कोई विवाद नहीं होगा। अगर कोई बैंक लॉकर में रखा सामान खाताधारक के निधन के बाद वितरित होना हो, तो इसे नामित नॉमिनी के बीच सही तरीके से बांटा जा सकेगा।
कानूनी विवादों से मुक्ति
नए नियम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे बैंक खातों में जमा धनराशि के बंटवारे में होने वाले कानूनी विवादों को समाप्त किया जा सकेगा। पहले अगर किसी अकाउंट होल्डर का निधन हो जाता था और नॉमिनी की पहले ही मृत्यु हो चुकी होती थी, तो धन को ट्रांसफर करने में काफी समस्याएं आती थीं। इसके अलावा, वसीयत का अभाव और कानूनी प्रक्रिया के चलते धन के हस्तांतरण में काफी देरी हो जाती थी। लेकिन अब चार नॉमिनी होने से बैंक को धन का बंटवारा करने में कोई समस्या नहीं होगी। नॉमिनी की मृत्यु के बाद, दूसरे नॉमिनी को राशि का हस्तांतरण किया जा सकेगा, जिससे लंबी कानूनी प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होगी।
10 साल से अधिक समय से लावारिस पड़े धन का समाधान
भारतीय बैंकों में एक और व्यवस्था है, जिसके तहत अगर किसी बैंक खाते में 10 साल या उससे अधिक समय तक कोई भी दावा नहीं करता, तो वह धन "लावारिस" घोषित कर दिया जाता है और इसे डिपॉजिटर्स एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में डाल दिया जाता है। अब, क्योंकि नॉमिनी की संख्या बढ़ाई गई है, इससे यह स्थिति भी आसानी से हल हो जाएगी। अगर कोई व्यक्ति अपने खाते में चार नॉमिनी जोड़ता है, तो लावारिस धन को सही तरीके से उन नॉमिनियों के बीच वितरित किया जा सकेगा।
जॉइंट और सक्सेसिव नॉमिनेशन के विकल्प
बैंकिंग नियमों में एक और दिलचस्प बदलाव यह है कि अब नॉमिनेशन के लिए दो विकल्प उपलब्ध होंगे:
1. जॉइंट नॉमिनेशन (Joint Nomination) – इस प्रणाली में यदि अकाउंट होल्डर की मृत्यु हो जाती है, तो संपत्ति का अधिकार पहले नॉमिनी को मिलेगा और उसके बाद अन्य नॉमिनी को। इसे सरल शब्दों में कहें तो, पहले नॉमिनी को पूरी संपत्ति मिल जाएगी और फिर बाकी नामित व्यक्तियों को उनकी हिस्सेदारी के अनुसार मिल सकेगी।
2. सक्सेसिव नॉमिनेशन (Successive Nomination) – इस प्रणाली के तहत अगर पहले नॉमिनी की मृत्यु हो जाती है, तो संपत्ति का अधिकार अगले नॉमिनी को मिलेगा। उदाहरण के लिए, यदि अकाउंट होल्डर की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी नॉमिनी है, तो वह संपत्ति की पूरी अधिकारिणी होगी। इसके बाद यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है, तो संपत्ति का अधिकार बेटे और फिर बेटी को मिलेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि संपत्ति का सही वितरण हो, और परिवार के सदस्य किसी प्रकार के विवाद में न पड़ें।
ग्राहकों के लिए क्या हैं फायदे?
1. उत्तराधिकारियों के बीच विवाद कम होगा: बैंक खातों में चार नॉमिनी जोड़ने से यह सुनिश्चित होगा कि उत्तराधिकारी आसानी से और बिना किसी कानूनी अड़चन के अपनी हिस्सेदारी प्राप्त कर सकेंगे। इससे परिवारों के बीच संपत्ति के लिए होने वाले झगड़े कम होंगे।
2. वित्तीय सुरक्षा: अब बैंक खाताधारक अपने परिवार के लिए अपनी वित्तीय सुरक्षा को मजबूत कर सकेंगे। नॉमिनी को जोड़ने से खाताधारक यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि उनके बाद उनकी संपत्ति सुरक्षित रूप से परिवार के अन्य सदस्यों तक पहुंचेगी।
3. कानूनी प्रक्रिया में सरलता: पहले की तुलना में नॉमिनी की संख्या बढ़ाने से कानूनी प्रक्रिया और वितरण की प्रक्रिया सरल हो जाएगी, जिससे बैंक खाताधारक और उनके परिवार को किसी प्रकार के कानूनी अड़चनों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
4. सुरक्षा और पारदर्शिता: इस कदम से बैंकिंग प्रणाली अधिक पारदर्शी और सुरक्षा से भरपूर हो जाएगी, जिससे ग्राहकों को अपने धन के वितरण के मामले में और अधिक विश्वास मिलेगा।