तारिषी की मौत पर छलका मां का दर्द, कहा-बेटी को शहीद न कहें

punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2016 - 11:49 AM (IST)

नई दिल्ली: बंगलादेश की राजधानी ढाका के एक रेस्त्रां पर आतंकवादियों के हमले में मारी गई भारतीय मूल की युवती तारिषी जैन का गुडग़ांव के शिव मूर्ति शमशान घाट पर सोमवार को अंतिम संस्कार किया गया।   तारिषी की चिता को उसके भाई संचित ने मुखाग्नि दी। इस मौके पर पूरा माहौल गमगीन था, इस दौरान परिजनों का रो रो कर बुरा हाल था जिससे माहौल और गमगीन हो गया और वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गई। 
 
मेरी बेटी को शहीद न कहें
इस मौके पर तारिषी जैन की मां तूलिका जैन ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्‍होंने कहा कि उसे शहीद न कहें। वह जीना चाहती थी। उसकी हत्‍या इसलिए की गई क्‍योंकि वह भारतीय थी। गम में डूबी मां तूलिका कह रही थीं, मेरी तारू क्‍यों? वह अच्‍छी लड़की थी। हमने ऐसा क्‍या गलत किया था कि मेरी बेटी को इस तरह की मौत मिली? मैं उससे कुछ ही दूरी पर थी, जब उसकी हत्‍या की गई। मैं कुछ कर क्‍यों नहीं पाई? बेटी के शव पर सिर रखकर बिलखती तूलिका ने कहा कि मैं मजबूत नहीं बन पाउंगी। मैं मजबूत बनना भी नहीं चाहती। उन्‍होंने मेरी बेटी की हत्‍या क्‍यों की? मैं कारण जानना चाहती हूं कि उसकी हत्‍या क्‍यों की गई? क्‍या जिंदगी इतनी सस्‍ती है?
 
और होनहार तारिषी का हो गया अंत 
उन्नीस वर्षीय तारिषी बर्कले की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर रही थी। वह ढाका छुट्टियों में आई थी जहां उनके पिता का लगभग दो दशक से कपड़े का कारोबार है। शुक्रवार को वह अपने दो दोस्तों के साथ पॉश गुलशन इलाके में आर्टिसन बेकरी में रात का भोजन करने के लिए गई थी लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था वह वहां से जिंदा नहीं लौटीं। बेकरी पर आतंकवादियों ने हमला कर उसकी छुरे से गोद कर नृशंस हत्या कर दी और इस तरह वकील बनने का सपना देख रही होनहार तारिषी का अंत हो गया। 

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