शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का फूटा गुस्सा, बोले- राम दरबार की दूसरी प्राण प्रतिष्ठा हिंदू धर्म के विरुद्ध
punjabkesari.in Wednesday, Jun 04, 2025 - 01:39 PM (IST)

नेशनल डेस्क : अयोध्या के राम जन्मभूमि में दूसरी बार प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन किया गया है। यह कार्यक्रम 3 जून से 5 जून 2025 तक चलेगा। पहले दिन, यानी 3 जून की सुबह 6:30 बजे से मुख्य प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू हो चुका है। इस दौरान आठ नवनिर्मित देवालयों में वैदिक परंपरा के अनुसार देवताओं की मूर्तियों (विग्रहों) की स्थापना की जाएगी। राम दरबार की मूर्तियों की मुख्य पूजा 5 जून को सुबह 11:25 बजे के बाद अभिजीत मुहूर्त में की जाएगी।
इस मामले पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा तो पहले भी हो चुकी है, अब फिर से इसका आयोजन क्यों हो रहा है? इसका मतलब यह है कि पहली प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार सही नहीं थी। अब शिखर बनने के बाद जो प्रतिष्ठा की जा रही है, वह इस बात का सबूत है कि पहले की गई प्रतिष्ठा धर्म और शास्त्र के खिलाफ थी। उन्होंने यह भी कहा कि यह हिंदू धर्म के विरुद्ध भी है।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकार पर तीखा सवाल भी उठाया। उनका कहना है कि धर्मनिरपेक्ष सरकारों का धार्मिक स्थलों में क्या काम है? वे पूछते हैं कि सरकार हिंदू धर्म के मंदिरों में क्यों हस्तक्षेप करती है, जबकि दूसरे धर्मों के स्थलों में ऐसा नहीं करती। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिरों के साथ 'कॉरिडोर' जैसे अंग्रेजी शब्द जोड़ना उचित नहीं है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा मंदिरों पर नियंत्रण और ट्रस्ट बनाना हिंदू धर्म की आस्था को चोट पहुंचाता है।
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि वे नहीं चाहते कि बांके बिहारी मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों में सरकार कोई ट्रस्ट बनाए। उनका साफ संदेश है कि धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप कम होना चाहिए और धर्म की मर्यादा का सम्मान होना चाहिए।
इस तरह अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को लेकर धार्मिक और सामाजिक स्तर पर चर्चा जारी है।