अॉस्ट्रेलिया की चीन से बढ़ी दूरी, 14 साल में पहली दफा विदेश नीति में भारत को मिली प्रमुख्ता

punjabkesari.in Thursday, Nov 23, 2017 - 08:47 PM (IST)

नई दिल्लीः पिछले 14 साल में अॉस्ट्रेलिया की विदेश नीति के श्वेत पत्र में चीन से दूरी और भारत से नजदीकियां दिखाई दे रही हैं। श्वेत पत्र से साफ संकेत मिले हैं कि चीन से मुकाबले के लिए अमरीका, भारत और जापान के साथ ऑस्ट्रेलिया भी होगा।

ऑस्ट्रेलियाई विदेश नीति का श्वेत पत्र गुरुवार को जारी किया गया, जिसमें एशिया प्रशांत की जगह हिंद-प्रशांत शब्द का कई बार इस्तेमाल किया गया है। कहा गया कि इस क्षेत्र की स्थिरता हमारे दो अहम साझीदारों अमरीका और चीन के रिश्तों पर निर्भर है। ऑस्ट्रेलिया को हमेशा से अमरीका के बेहद करीबी सैन्य सहयोगी के तौर पर देखा जाता रहा है।

कुछ समय से ऑस्ट्रेलिया और चीन के रिश्तों में दूरी देखी जा रही है। चीन के महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट वन बेल्ट वन रोड पर भी ऑस्ट्रेलिया ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है। श्वेत पत्र में चीन के बारे में कहा गया है कि उसकी ताकत अमरीका से मैच खाती है और कुछ मामलों में तो आगे है।

चीन चाहेगा कि इस क्षेत्र में उसके हितों को बढ़ावा मिले। यह होता है तो हम इस क्षेत्र में जटिल स्थिति देखेंगे। हम चाहेंगे कि चीन अपनी ताकत का इस्तेमाल स्थिरता बढ़ाने के लिए करे, अंतरराष्ट्रीय कानूनों को मजबूत करे और छोटे देशों के हितों का सम्मान करे। हम चाहते हैं कि अमरीका इस क्षेत्र से जुड़ा रहे ताकि स्थिरता बनी रही है। 

भारत को श्वेत पत्र में हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपने पार्टनर के तौर पर देखते हुए कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया की इंटरनेशनल पार्टनरशिप में भारत अब पहली पंक्ति में विराजमान है। हमारे सुरक्षा हित मिलते जुलते हैं, खास तौर से हिंद महासागर की स्थिरता और खुलेपन के संबंध में। हिंद महासागर के देशों में भारत प्रमुख ताकत बना रहेगा। हम हिंद महासागर की सुरक्षा को प्रभावित करने वाली गतिविधियों का जवाब हम भारत और अन्य देशों के साथ ज्यादा तालमेल के जरिए देना चाहते हैं।


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