जीएसटीः विधेयक लोकसभा में पारित, राज्यसभा में चर्चा आज
punjabkesari.in Thursday, May 07, 2015 - 12:55 AM (IST)
नई दिल्ली : अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों को आगे बढ़ाने वाले वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को बुधवार को लोकसभा ने पारित कर दिया। जीएसटी दर को 27 प्रतिशत से कम रखने का आश्वासन दिये जाने के बाद विधेयक को बीजू जनता दल (बीजेडी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसी पार्टियों ने समर्थन दिया तो कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया।
राज्यसभा में जीएसटी विधेयक पर आज चर्चा होगी। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक है। लोकसभा में इसे दो-तिहाई बहुमत के साथ आसानी से पारित करा लिया गया लेकिन राज्यसभा में इसको लेकर सवालिया निशान खड़ा है क्योंकि उच्च सदन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास बहुमत नहीं है। कांग्रेस और अन्य दलों ने जीएसटी विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की जिसे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने खारिज कर दिया।
जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को संसद से पारित कराने के बाद देश के 29 राज्यों में से आधे से ज्यादा राज्यों की विधानसभाओं में भी मंजूरी लेनी होगी। जीएसटी कर व्यवस्था को अगले साल अप्रैल से अमल में लाया जाना है।
लोकसभा में जीएसटी विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुये जेटली ने कहा, जीएसटी लागू होने के बाद पूरा देश एक साझा बाजार बन जायेगा, इस लिहाज से यह व्यापार बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा। बीजू जनता दल और टीएमसी ने जीएसटी के अमल में आने के बाद राज्यों के राजस्व को लेकर आपत्ति जताई। जेटली ने राज्यों को भरोसा दिया कि जीएसटी के अमल में आने पर उन्हें होने वाले राजस्व घाटे की पूरी भरपाई की जायेगी।
जीएसटी वर्ष 1947 के बाद अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में पहला बड़ा सुधार होगा। इससे विनिर्माण क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा। जीएसटी लागू होने पर उत्पाद शुल्क, सेवा कर जैसे केन्द्रीय करों तथा वैट, मनोरंजन कर, खरीद कर और चुंगी जैसे राज्य स्तरीय करों का स्थान लेगा। ये सभी कर जीएसटी में समाहित हो जायेंगे।
एल्कोहल को छोड़कर सभी वस्तुऐं और सेवायें जीएसटी के दायरे में होंगी। पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में लाया जायेगा लेकिन यह कब आयेगें इसके बारे में फैसला जीएसटी परिषद पर छोड़ दिया गया है।
जीएसटी को सबसे पहले 12 साल पहले तैयार किया गया था। लेकिन राज्यों द्वारा आशंका व्यक्त किये जाने के बाद इसे मंजूरी नहीं दी जा सकी। हालांकि, जेटली ने कहा है कि जीएसटी के अमल में आने से आर्थिक वृद्धि दो प्रतिशत बढ़ जायेगी।
जीएसटी की एक समिति ने जीएसटी दर 27 प्रतिशत रखने की सिफारिश की है जो कि वैश्विक औसत 16.4 प्रतिशत से काफी उपर है। हालांकि जेटली ने कहा कि प्रस्तावित दर काफी उंची है और इसमें काफी कमी लाये जाने की जरूरत है।
जेटली ने कहा कि स्थायी समिति पहले ही नये जीएसटी विधेयक के विभिन्न प्रावधानों को देख चुकी है और उसके कई सुझावों को इसमें शामिल किया गया है। विधेयक को अहम बताते हुये उन्होंने कहा, यह महत्वपूर्ण अवसर है। जीएसटी लागू होने के बाद पूरे देश में अप्रत्यक्ष कर की पूरी प्रक्रिया बदल जायेगी।
एक विशेषज्ञ समिति की जीएसटी के लिये 27 प्रतिशत की राजस्व के लिहाज से निरपेक्ष दर के बारे में जेटली ने कहा यह बहुत उंची है और इसमें काफी कमी आयेगी। जीएसटी की निरपेक्ष दर वह दर होगी जिसके लागू होने पर राज्यों को राजस्व में कोई नुकसान नहीं होगा। जीएसटी की निरपेक्ष दर जीएसटी परिषद के विचाराधीन है और वही इस पर अंतिम निर्णय लेगी।
उन्होंने कहा जीएसटी लागू होने से अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था काफी सरल और सुगम हो जायेगी। इससे मुद्रास्फीति में भी कमी आयेगी और आने वाले समय में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। वित्त मंत्री ने राज्यों की राजस्व संबंधी चिंता पर कहा कि राजस्व नुकसान होने की स्थिति में केन्द्र उन्हें पांच साल तक मदद देगा। हमारी राज्यों के साथ इस मुद्दे पर स्पष्ट समझ बनी है कि राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की पांच साल तक पूरी तरह भरपाई की जायेगी। उद्योग जगत ने जीएसटी विधेयक के लोकसभा में पारित होने पर प्रसन्नता जताई है।
उन्होंने कहा है कि इससे आर्थिक वृद्धि तेज होगी लेकिन उससे पहले इसे राज्यसभा में भी पारित कराना होगा। केपीएमजी इंडिया के भागीदार (अप्रत्यक्ष कर) प्रतीक जैन ने कहा, विधेयक अब यदि राज्यसभा में प्रवर समिति को भी भेज दिया जाता है तो यह उम्मीद की जा सकती है कि जीएसटी को एक अप्रैल 2016 की समयसीमा के भीतर लागू किया जा सकता है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के निदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, हमारे विचार से भारत को एक साझा बाजार बनाने की दिशा में एक पहला कदम है। उद्योगों को प्रोत्साहन देने की दिशा में यह सबसे बड़ा और दूरगामी परिणाम देने वाला सुधार है, इससे उद्योगों को उल्लेखनीय वृद्धि हासिल करने के लिये प्रोत्साहन मिलेगा।
जेटली ने कहा कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे विनिर्माता राज्यों तथा खपत वाले दूसरे राज्यों सभी की चिंताओं पर गौर किया गया है। जीएसटी के अमल में आने से सभी राज्यों को फायदा होगा। खनिज उत्पादन वाले राज्य ओड़िशा के सदस्यों द्वारा अपने राज्य के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा नये उपायों से खनिज उत्पादन करने वाले राज्यों को भी फायदा होगा। अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत 2003 में केलकर समिति ने की थी। इसके बाद संप्रग सरकार ने 2006 में जीएसटी विधेयक का प्रस्ताव किया था। विधेयक सबसे पहले 2011 में लाया गया था।