वो दिन चले गये जब यह देश भीख मांगता था: मोदी

punjabkesari.in Sunday, Apr 12, 2015 - 06:50 PM (IST)

पेरिस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश विदेश में रहने वाले युवाओं को भरोसा दिलाया कि दस माह के शासन के आधार पर उन्हें पूर्ण विश्वास हो गया है कि उनके सारे सपने साकार होंगे। मोदी ने फ्रांस की यात्रा के अंतिम सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कल कहा कि पिछले वर्ष भारत में होने वाले चुनाव के परिणाम का विदेशों में बसे युवाओं को ज्यादा इंतजार था। उन्होंने कहा कि इसका कारण उनकी अपनी आकांक्षाएं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अपने दस माह के अनुभव के आधार पर पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि उनके सारे सपने साकार होंगे। 

उन्होंने कहा कि वह अनुभव के आधार पर यह भी कह सकते हैं कि भारत को गरीब रहने का कोई हक नहीं है। स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी के अनुसार भारत यात्रा जगतगुरू की पदवी पर आसीन होगी। मोदी ने कहा कि फ्रांस के साथ उनकी सरकार ने कई समझौते किए हैं। फ्रांस में सभी नेताओं में मेक इन इंडिया को लेकर उत्साह है। हम दुनिया से कह रहे हैं कि आप आइये तो हम भी आगे बढेंग़े। आप भी आगे बढ़ें।’’ उन्होंने कहा कि वह भारत में लड़ाकू विमान, पनडुब्बी आदि सभी चीजों का विनिर्माण इसलिए चाहते हैं ताकि देश के नौजवानों को घर पर रोजगार मिले।
 
 उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि नौजवान अपने बूढ़े मां-बाप को छोड़कर रोजगार के लिए बाहर जाएं। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया के बारे में वह विश्व के औद्योगिक देशों से भी कह रहे हैं कि 20 साल बाद उन्हें किसी देश में कर्मचारी नहीं मिलेंंगे तब भारत ही ऐसा देश होगा जहां कामगार उपलब्ध होंगे। इसलिये यहां आज से ही उद्योग लगायें। 
 
मोदी ने कहा, भारत के पास जन सांख्यिकीय लाभ होने के साथ-साथ बुद्ध-गांधी की परंपरा की विरासत भी है। हमारा मंत्र वसुधैव कुटुम्बकम का है। भारत में बहुत अवसर हैं। हम मानते हैं कि विश्व में जो कुछ भी श्रेष्ठ है वह हिन्दुस्तान की धरती पर होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि दुनिया के लोगों को भारत की विशालता की पहचान नहीं है। लेकिन वह दिन दूर नहीं है जब दुनिया हमको जानेगी और मानेगी भी। उन्होंने कहा कि दुनिया कह रही है कि भारत सबसे तेज गति से आगे बढऩे वाली अर्थव्यवस्था है तो वह दुनिया से कहते हैं कि इंतजार किस बात का है।
 
 उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि दुनिया में स्पर्धा बने कि वे भारत में निवेश के लिए आयें और देश दुनिया के साथ आगे बढ़े। मोदी ने कोयला खान आवंटन, जन धन योजना ,गैस सब्सिडी के हस्तांतरण की योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इनमें जनता ने सरकार का जिस प्रकार से साथ दिया उससे पता चलता है कि हर हिन्दुस्तानी के दिल में देश के लिए कुछ करने का जज्बा है। उन्होंने कहा कि भारत पूरी शक्ति से खड़ा हो रहा है। इन अनुभवनों के भरोसे उन्हें ²ढ़ विश्वास हुआ है कि जैसा हिन्दुस्तान देशवासी चाहते हैं, यह वैसा ही बनेगा। 
 
 मोदी ने कहा, वो दिन चले गये जब यह देश भीख मांगता था। आज यह देश अपना हक मांगता है और यह हक विश्व में शांति के संदेश के प्रचार-प्रसार का है।’’ उन्होंने कहा कि विश्व में शांति का संदेश देने का जितना हक बुद्ध और गांधी के देश को है, उतना नैतिक अधिकार शायद किसी अन्य देश को नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध का शताब्दी वर्ष और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का 75वां वर्ष युद्ध से मानवता की मुक्ति का वर्ष होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया यह बात समझे कि प्रथम विश्वयुद्ध में 14 लाख भारतीय सैनिक दूसरों के लिए लड़े थे और उनमें से 75 हजार शहीद हो गये थे। यह अपने लिये नहीं था। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में आक्रमण का नामो-निशान तक नहीं है।
 
हिन्दुस्तान की धरती त्याग और तपस्या की धरती है। फिर भी प्रथम विश्वयुद्ध से संदेश मिलता है कि भारत औरों के लिए भी बलिदान देता है। उन्होंने कहा कि आज भी संयुक्त राष्ट्र में शांति अभियान में सबसे ज्यादा योगदान भारत का ही है। उनकी बुद्धिमत्ता, और अनुशासन की सर्वत्र प्रशंसा होती है। शांति रक्षक अभिमानों में भारत क्या नहीं देता लेकिन दूसरी और दुनिया हमें क्या देती है। यह देश सुरक्षा परिषद की सीट पाने के लिए तरस रहा है। मोदी ने कहा, मैं दुनिया से आग्रह करूंगा कि यह अवसर है, वह शांतिदूतों का सम्मान करें। यह अवसर है बुद्ध-गांधी की भूमि को उसका हक देने का।’’ 

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