Pics: लक्ष्मीबाई ही नहीं, इन महिलाओं ने भी कर दिया था अंग्रेजों की नाक में दम!
punjabkesari.in Monday, Mar 23, 2015 - 05:56 PM (IST)

नई दिल्ली: ‘खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसी वाली रानी थी’
ये पंक्तियां सुनते ही हमारे मन में देश की आजादी के लिए लडऩे वाली रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी के किस्से तरोताजा हो जाते है। लक्ष्मीबाई को ‘झांसी की रानी’ के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 19 नवम्बर 1835 को हुआ था। मराठा शासित झांसी राज्य की रानी और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना थीं जिन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में ब्रिटिश साम्राज्य की सेना से संग्राम किया और रणक्षेत्र में 17 जून 1858 को वीरगति प्राप्त की, किन्तु जीते जी अंग्रेजों को अपनी झांसी पर कब्जा नहीं करने दिया।
लेकिन क्या आपको पता है कि लक्ष्मीबाई के अलावा भी दुनिया में ऐसी कई महिलाएं है, जिन्होंने अपनी बहादुकी से अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। यहां की इन्हें पकडऩे के लिए अंग्रेजों को कई तरह के पैंतरे खेलने पड़े थे। आईए जानें कौन है ये महिलाएं:-
1) प्रीतिलता वादेदार (1911-1932)
प्रीति कलकत्ता में पढ़ाई के दौरान राष्ट्रवादी समूह से जुड़ीं थीं। उनका जन्म चटगांव (जोकि अब बांग्लादेश में है) में हुआ था। लाठी और तलवार चलाने में कुशल प्रीति ने उस यूरोपीय क्लब पर हमला किया था, जहां लिखा हुआ था कि कुत्ते और भारतीय दाखिल नहीं हो सकते। अंग्रेजों को इसका जवाब उन्होंने अपने हमले से दिया था।
2) भीकाजी कामा (1861-1936)
मुंबई में पैदा हुईं भीकाजी कामा एक पारसी महिला है। वह कई साल यूरोप में रहीं और उनके छापे गए राष्ट्रवादी पर्चे भारत में स्मगल किए जाते थे। वह क्रिसमस के मौके पर तोहफे में दिए जाने वाले खिलौनों में छिपाकर बंदूकों की तस्करी करती थी।
3) गाएडिनलियु (1915-1993)
13 साल की उम्र में गाएडिनलियु ने सिविल डिस्ओबिडिएंस मूवमेंट में हिस्सा लिया, जोकि अब नगालैंड और मणिपुर के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश प्रशासन ने उन्हें पकडऩे के लिए उनके पीछे सैनिक लगा रखे थे। यहां तक की उन्हें पकडऩे के लिए ब्रिटिश सरकार ने इनाम और शादी के फर्जी ऑफर तक सारे हथकंडे अपनाए। बता दें कि वह 13 साल तक जेल में रहीं थी।
4) अरुणा आसफ अली (1906-1996)
1925 में अरुणा ने अपने परिवार के विरोध के बावजूद जाति से बाहर जाकर शादी की। इन्होंने नमक आंदोलन के दौरान रैलियों की अगुवाई की और जब ब्रिटिश सरकार उन्हें गिरफ्तार करने में नाकाम रही तो उन्होंने उनकी संपत्ति जब्त कर ली।
5) सरला देवी चौधरानी (1872-1945)
मासिक पत्रिका भारती का संपादन कर चुकी सरला का जन्म कलकत्ता में हुआ था। अपनी पत्रिका में वह नौजवानों को ब्रिटिश सैनिकों के खिलाफ स्व-रक्षा समूह बनाने का आग्रह करती थीं।
6) कमलादेवी चट्टोपाध्याय (1903-1990)
मंगलौर की रहने वाली कमला देवी किशोर जीवन में ही विधवा हो गई थीं। उन्होंने 20 वर्ष की उम्र से पहले ही दूसरी शादी कर ली थी। उनकी बहादुरी का आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि उसने अदालत में नमक बेचने की कोशिश की और मजिस्ट्रेट से नमक सत्याग्रह का हिस्सा बनने की अपील कर डाली थी।