क्या है बजट से डाक्टरों की उम्मीदें? (watch video)

punjabkesari.in Saturday, Feb 28, 2015 - 11:04 AM (IST)

जालंधर: देश की जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखने वाली हैल्थ इंडस्ट्री को वित्त मंत्री अरुण जेतली द्वारा पेश किए जाने वाले बजट से ढेरों उम्मीदें हैं। पंजाब केसरी ने अपनी ‘बजट उम्मीदें 2015-16’ शृंखला के तहत जालंधर के चोटी के डाक्टरों से बातचीत करके बजट को लेकर उनकी राय जानी तो स्वास्थ्य क्षेत्र की बजट से जुड़ी अनेक मांगें निकल कर सामने आईं।

मैडीकल शिक्षा में निवेश की जरूरत
डा. जे.पी. सिंह ने कहा कि देश की सबसे बड़ी जरूरत मैडीकल शिक्षा में निवेश करने की है। सरकार इस बजट में मैडीकल कालेजों की संख्या बढ़ाने की तरफ ध्यान दे ताकि ज्यादा संस्थान होने के चलते मैडीकल की सीटें बढ़ सकें। डा. सिंह ने कहा कि देश में तैयार होने वाले डाक्टरों की संख्या आबादी की तुलना में काफी सीमित है और उनमें से भी अधिकतर डाक्टर विदेश चले जाते हैं जिस कारण देश डाक्टरों की समस्या से जूझ रहा है। यदि मैडीकल कालेजों की संख्या बढ़ाई जाती है तो देश में डाक्टरों की संख्या को बढ़ाया जा सकेगा। कुछ ऐसा ही जी.एन.एम. नर्सों को लेकर हो रहा है और अस्पतालों को पैरामैडीकल स्टाफ की कमी से जूझना पड़ रहा है। वित्त मंत्री यदि बजट के दौरान मैडीकल शिक्षा में सरकारी निवेश बढ़ाएं तो यह हैल्थ सैक्टर के लिए खुशी की बात होगी।

एम्बुलैंस गाडिय़ों से उत्पाद शुल्क हटाना चाहिए
इंडियन मैडीकल एसोसिएशन (आई.एम.ए.) जालंधर के अध्यक्ष राजीव सूद ने कहा कि देश के अस्पतालों में मरीजों की जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली अधिकतर मशीनरी विदेश से मंगवाई जाती है और मशीनों के आयात पर भारी आयात शुल्क लगता है। सरकार को मशीनरी पर आयात शुल्क हटाना चाहिए और ऐसी मशीनरी देश में बनाने के लिए उद्योग जगत को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि मशीनरी पर होने वाला खर्च कम हो सके। इसके अलावा देश के अस्पतालों में लाखों गाडिय़ां एम्बुलैंस के तौर पर इस्तेमाल होती हैं। एम्बुलैंस की इन गाडिय़ों से उत्पाद शुल्क हटा लेना चाहिए ताकि अस्पतालों को सस्ती गाडिय़ां मिल सकें। ये गाडिय़ां सस्ती होती हैं तो इसका फायदा मरीजों को भी मिलेगा। 

देश का स्वास्थ्य बजट बढ़ाया जाए
डा. योगेश्वर सूद ने कहा कि बजट के दौरान वित्त मंत्री को देश का स्वास्थ्य बजट बढ़ाना चाहिए क्योंकि हमारा स्वास्थ्य बजट पड़ोसी देश चीन के मुकाबले भी कम है। हम अपनी जी.डी.पी. का महज 1.5 प्रतिशत अपने स्वास्थ्य पर खर्च कर रहे हैं जबकि विकसित देशों का रक्षा खर्च जी.डी.पी. के 10 प्रतिशत से भी ज्यादा है लिहाजा इन देशों में इलाज के अभाव में मरीजों की मौत नहीं होती। यदि वित्त मंत्री स्वास्थ्य बजट बढ़ा देते हैं तो इससे न सिर्फ नए सरकारी अस्पताल खुलेंगे बल्कि नए-नए कालेज भी खुलेंगे और देश में बड़ी संख्या में डाक्टर तैयार हो सकेंगे।

हैल्थ सैक्टर को इंडस्ट्री वाली सहूलियत मिले
दोआबा अस्पताल के डा. आशुतोष गुप्ता ने कहा कि कहने को तो सरकार हैल्थ सैक्टर को इंडस्ट्री का दर्जा देने का दावा करती है लेकिन हैल्थ सैक्टर को इंडस्ट्री वाली सहूलियत नहीं है। इंडस्ट्री को सरकार की तरफ से उद्योग स्थापित करने के लिए रियायती दरों पर प्लाट मिलते हैं लेकिन यदि किसी डाक्टर ने अस्पताल खोलना हो तो उसे बाजार भाव पर जमीन लेनी पड़ती है। इतना ही नहीं अस्पतालों से बिजली बिल की वसूली व्यापारिक दरों के हिसाब से होती है जबकि इंडस्ट्री को बिजली बिल में रियायत उपलब्ध है। यह सारा खर्च अंत में मरीज को झेलना पड़ता है। यदि बजट में हैल्थ इंडस्ट्री को यह रियायत मिलती है तो इलाज सस्ता हो सकता है।


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