ऐसी भारतीय नारी, जो पुरुषों पर पड़ रही भारी!

punjabkesari.in Wednesday, Jan 28, 2015 - 05:43 PM (IST)

दरभंगा: भारत के 66वें गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और दुनिया ने भारत की सैन्य शक्ति में ‘नारी शक्ति’ को देखा, वहीं बिहार के दरभंगा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में नारी शक्ति के रूप में पहचान बना चुकी सुनीता तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद नारी शक्ति का परिचय देते हुए महिलाओं को राह दिखा रही हैं। बिहार के सीतामढ़ी जिले के पकटोला गांव में देवनारायण मुखिया के घर जन्मी सुनीता का विवाह मात्र 13 वर्ष की आयु में हो गया था। 

पति के छोडऩे के बाद अपने दो बच्चों का पालन पोषण करने के लिए 33 वर्षीया सुनीता न केवल पुरुष वर्चस्व वाले भवन निर्माण क्षेत्र में बतौर राज मिस्त्री काम करती हैं, बल्कि दरभंगा रेलवे स्टेशन पर मिली एक लावारिस बच्ची का भी पिछले पांच वर्षों से लालन-पालन कर रही हैं। वर्ष 2004 में रोजगार की तलाश में दरभंगा शहर पहुंची सुनीता ने मजदूरी करना शुरू किया। मजदूरी करने के दौरान उसे महसूस हुआ कि मजदूर की बजाय राज मिस्त्री को ज्यादा मजदूरी मिलती है, इसलिए उसने राज मिस्त्री बनने की ठान ली। 

शुरुआत में पुरुषों का वर्चस्व होने के कारण उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, परंतु मंजिल पाने की चाह के कारण सुनीता विचलित नहीं हुई। आज सुनीता की दरभंगा में ‘नारी शक्ति’ के रूप में पहचान होने लगी है। कई महिला मजदूर उनके साथ काम कर राज मिस्त्री का काम सीख रही हैं। सुनीता कहती हैं कि वह अपने बच्चों को खूब पढ़ाना चाहती है, ताकि जिंदगी में उन्हें किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। सुनीता का कहना है कि अपने बच्चों को कुछ बनाने की चाह उसे हर दिन नई राह दिखाती है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News