सेना को मिलेगा स्वदेशी गोलाबारूद , 15 हजार करोड़ रुपए की मंजूरी

punjabkesari.in Monday, May 14, 2018 - 08:57 AM (IST)

नई दिल्ली : थल सेना ने वर्षों की चर्चा की बाद अपने हथियारों और टैंकों के गोला बारूद का घरेलू स्तर पर उत्पादन करने के लिए 15,000 करोड़ रुपए की एक बड़ी परियोजना को आखिरकार अंतिम रूप दे दिया है। इस कदम का उद्देश्य गोला बारूद के आयात में होने वाली लंबी देरी और इसका भंडार घटने की समस्या का हल करना है।

दरअसल , महत्वपूर्ण गोलाबारूद का भंडार तेजी से घटने को लेकर रक्षा बल पिछले कई बरसों से चिंता जता रहे थे। सरकार का यह कदम इस समस्या का हल करने की दिशा में प्रथम गंभीर प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। साथ ही , चीन के तेजी से अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के मुद्दे पर भी विभिन्न सरकारों ने चर्चा की थी।

परियोजना में 11 निजी कंपनिंयों को किया गया शामिल
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में 11 निजी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसके क्रियान्वयन की निगरानी थल सेना और रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी करेंगे। इस परियोजना का फौरी लक्ष्य गोला बारूद का स्वदेशीकरण बताया जा रहा है। यह सभी बड़े हथियारों के लिए एक ‘ इंवेंट्री ’ बनाएगा , ताकि बल 30 दिनों का युद्ध लड़ सके जबकि इसका दीर्घकालीन उद्देश्य आयात पर निर्भरता को घटाना है। परियोजना में शामिल एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि परियोजना की कुल लागत 15,000 करोड़ रुपए है और हमने उत्पादन किए जाने वाले गोलाबारूद की मात्रा के संदर्भ में अगले 10 साल का एक लक्ष्य निर्धारित किया है।

समयसीमा के अंदर किया जाएगा उत्पादन
एक सूत्र ने बताया कि शुरू में कई तरह के रॉकेटों , हवाई रक्षा प्रणाली , तोपों , बख्तरबंद टैंकों , ग्रेनेड लॉंचर और अन्य के लिए गोलाबारूद का उत्पादन समयसीमा के अंदर किया जाएगा। उत्पादन के लक्ष्यों को कार्यक्रम के क्रियान्वयन के प्रथम चरण के नतीजे के बाद संशोधित किया जाएगा। सूत्रों ने संकेत दिया कि पिछले महीने यहां थल सेना के शीर्ष कमांडरों के एक सम्मेलन में परियोजना पर चर्चा हुई थी।

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना के लिए हथियार और गोलाबारूद की खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने पर जोर दे रहे हैं। वहीं , अधिकारी ने बताया , ‘गोलाबारूद का स्वदेशीकरण परियोजना दशकों में ऐसा सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा। ’ गौरतलब है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पिछले साल जुलाई में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 152 प्रकार के गोलाबारूद में सिर्फ 61 प्रकार का भंडार ही उपलब्ध है और युद्ध की स्थिति में यह सिर्फ 10 दिन चलेगा। हालांकि , निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल के मुताबिक गोलाबारूद का भंडार एक महीने लंबे युद्ध के लिए पर्याप्त होना चाहिए।  


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