अपनी विनाशक क्षमता के कारण ड्रोन अन्य खतरों के मुकाबले कहीं अलग: उप सेनाप्रमुख

punjabkesari.in Saturday, Oct 10, 2020 - 05:01 PM (IST)

नई दिल्ली: थल सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी ने शनिवार को कहा कि ड्रोन या मानव रहित विमान (यूएवी) अपनी विनाशक क्षमता के कारण अन्य चुनौतियों से कहीं अधिक गंभीर हैं। संयुक्त युद्धक अध्य्यन केंद्र (सीईएनजेओडब्ल्यूएस) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में उन्होंने कहा, उनकी (ड्रोन की) कम लागत, बहुउपयोगिता और उपलब्धता के मद्देनजर कोई शक नहीं है कि आने वाले सालों में खतरा कई गुना बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि ड्रोन जैसे खतरों का च्च्तीसरा आयामज्ज् निकट भविष्य में अभूतपूर्व हो सकता है और सेना को इस बारे में अभी से योजना बनाने की जरूरत है। 

सैनी ने कहा, ड्रोन रोधी समाधान के तहत स्वार्म' प्रौद्योगिकी समेत च्हार्ड किल और सॉफ्ट किल दोनों तरह के उपाय वक्त की मांग हैं।ज्ज् दुश्मन ड्रोन को मार गिराने के लिये जब किसी मिसाइल या अन्य हथियार से उन्हें प्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाया जाता है तो इसे हार्ड किल कहा जाता है जबकि जैमर या स्पूफर (छद्म लक्ष्यों के जरिये उन्हें लक्ष्य से भटकाना) के जरिये उन्हें नाकाम बनाना साफ्ट किल कहा जाता है। उप सेना प्रमुख च्च्फोर्स प्रोटेक्शन इंडिया 2020 शीर्षक वाले वेबिनार को संबोधित कर रहे थे जिस दौरान सशस्त्र बलों की सुरक्षा संबंधी कई जरूरतों पर चर्चा की गई। सैनी ने उल्लेख किया, अन्य खतरों के मुकाबले अपने अभिनव नियोजन और विनाशक क्षमता के कारण ड्रोन और मानव रहित विमान अलग स्थान रखते हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में सैनिक बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात हैं जहां तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है लेकिन च्च्वहनीय स्वदेशी समाधानों की कमी के कारणज्ज् भारत आज भी सर्दियों के लिये जरूरी कपड़े और उपकरण आयात कर रहा है।

उन्होंने कहा, इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के हमारे नजरिये को अमली जामा पहनाने के लिये सहयोगात्मक प्रयास किये जाने की जरूरत है। सैनी ने कहा कि भारतीय सेना ने आधुनिक हथियारों, गोलाबारूद, रक्षा उपकरणों, कपड़ों और कई अन्य क्षेत्रों में व्यापक बदलाव किया है लेकिन अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा, अभी रात में देखने में सक्षम उपकरण, युद्धक हेलमेट, बुलेटप्रूफ जैकेट, हलके सचल संचार उपकरणों और कई अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित किये जाने की जरूरत है।ज्ज् उप सेनाप्रमुख ने कहा कि आईईडी का खतरा अभी बरकरार रहने वाला है क्योंकि यह आतंकवादियों और राष्ट्र विरोधी तत्वों की पसंद बना हुआ है। उन्होंने कहा कि आईईडी के खतरे से निपटने के लिये प्रौद्योगिकी नवोन्मेष अहम है। सैनी ने कहा, रोबोटिक्स, कृत्रिम मेधा और बड़े आंकड़ों के विश्लेषण से संभावित जवाब मिल सकता है। देश में रक्षा ठिकानों और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा एक और प्रमुख क्षेत्र है जहां सेना पिछले कुछ सालों में ध्यान दे रही है क्योंकि ये आसान और महत्वपूर्ण लक्ष्य हो सकते हैं।


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Anil dev

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