‘वंदे मातरम'' का विरोध करने वाला भारत माता का विरोध कर रहा : आदित्यनाथ
punjabkesari.in Tuesday, Nov 11, 2025 - 06:44 PM (IST)
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि "जो कोई भी वंदे मातरम का विरोध कर रहा है, वह वास्तव में भारत माता का विरोध कर रहा है।" आदित्यनाथ बाराबंकी में 1,734 करोड़ रुपये की 254 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने आए थे। इस मौके पर एक जनसभा में आदित्यनाथ ने कहा, "जो कोई भी वंदे मातरम का विरोध कर रहा है, वह वास्तव में भारत माता का विरोध कर रहा है। यह वंदे मातरम किसी व्यक्ति, किसी जाति या किसी क्षेत्र के लिए नहीं है। यह किसी व्यक्ति को किसी विशेष पूजा पद्धति की ओर प्रवृत्त नहीं करता। यह वास्तव में भारत माता के प्रति श्रद्धा है।”
मुख्यमंत्री ने देशवासियों से कहा, ''उन चेहरों को पहचानों, जो शासकीय योजनाओं को हड़पने की लाइन में सबसे पहले खड़े होते हैं, लेकिन कहते हैं कि हम वंदे मातरम नहीं गाएंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि यह सच है “हमें देवी के तीन रूपों - देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और देवी दुर्गा - की पूजा करके भारत और भारतीयता को आगे बढ़ाने की शक्ति मिली है।” आदित्यनाथ सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती समारोह के तहत कुर्सी विधानसभा क्षेत्र में "राष्ट्रीय एकता यात्रा" की शुरुआत करने वाले कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बाराबंकी में थे।

मुख्यमंत्री ने कहा,'' कोई भी मत, मजहब या जाति राष्ट्र से बढ़कर नहीं हो सकती। हमारा ध्येय राष्ट्र प्रथम होना चाहिए। राष्ट्र एक है तो हम एक हैं। वंदे मातरम के मार्ग की बाधा राष्ट्रीय एकता के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है।'' इस बयान से एक दिन पहले सोमवार को आदित्यनाथ ने कहा था राज्य के प्रत्येक स्कूल और शैक्षणिक संस्थान में "वंदे मातरम" गाना अनिवार्य कर दिया जाएगा। भारत के राष्ट्रीय गीत को लेकर बहस उस समय फिर से शुरू हो गई, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा था कि 1937 में इसके कुछ प्रमुख छंद हटाने के निर्णय ने “विभाजन के बीज बो दिए थे।”
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा वर्ष 1875 में रचित “वंदे मातरम्” को 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया। आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि जाति, वंशवाद, क्षेत्रवाद और धर्म के नाम पर विभाजन की राजनीति को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास केवल अध्ययन के लिए ही नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण का अवसर भी देता है। मुख्यमंत्री ने कहा, "हमें इतिहास की गलतियों को यथाशीघ्र सुधारना चाहिए", और इतिहास के गौरवशाली क्षणों से प्रेरणा लेकर भविष्य को सुंदर बनाना चाहिए।
