इस 'इडली वाली दादी' की तलाश कर रहे आनंद महिंद्रा, देना चाहते हैं यह खास तोहफा
punjabkesari.in Thursday, Sep 12, 2019 - 11:47 AM (IST)
नेशनल डेस्क: महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा सोशल मीडिया का काफी शानदार इस्तेमाल कर रहे हैं। वे बखूबी जानते हैं कि लोगों को वही याद रहता है जो बार-बार सामने आता रहता हे इसी के तहत वह कोई न कोई टैलेंट ढूंढ ही लेते हैं। अब वह 80 साल की एक उस बुजुर्ग महिला को ढूंढ रहे हैं जो महज एक रुपये में इडली बेचती है। महिंद्रा इस इडली वाली दादी के बिजनेस में निवेश करना चाहते हैं।
One of those humbling stories that make you wonder if everything you do is even a fraction as impactful as the work of people like Kamalathal. I notice she still uses a wood-burning stove.If anyone knows her I’d be happy to ‘invest’ in her business & buy her an LPG fueled stove. pic.twitter.com/Yve21nJg47
— anand mahindra (@anandmahindra) September 10, 2019
आनंद महिंद्रा ने 80 साल की बुजुर्ग महिला का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि यह उन विनम्र कहानियों में से एक जो आपको आश्चर्यचकित करती है, लेकिन अगर आप भी कमलाथल जैसा कुछ प्रभावशाली काम करते हैं, तो यकीनन वो दुनिया को हैरान करेगा। मैंने नोटिस किया है कि वह अभी भी एक लकड़ी से जलने वाले चूल्हे का उपयोग करती हैं। अगर कोई उन्हें जानता है तो मैं उन्हें एक एलपीजी ईंधन वाला चूल्हा देना चाहूंगा और उनके व्यवसाय में निवेश करने में मुझे खुशी होगी।
वहीं एक यूजर ने आनंद महिंद्रा के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए लिखा कि एलपीजी चूल्हा देना या एलपीजी कनेक्शन देने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन मेरे हिसाब से लगातार एलपीजी गैस मुहैया कराना ज्यादा मददगार होगा। यूजर के ट्विट का जवाब देते हुए उद्योगपति ने लिखा कि मुझे उनके पास लगातार एलपीजी गैस पहुंचाने में खुशी होगी। उस इलाके में हमारी कंपनी की टीम ऐसा करेगी, मुझे यकीन है। उनकी सहायता करने में हमें खुशी होगी।
दरअसल चेन्नई के कोयंबटूर की रहने वाली कमलाथल सिर्फ एक रूपये में लोगों को इडली खिलाती हैं। उनके जीवन का लक्ष्य लोगों को सस्ता और भरपेट भोजन उपलब्ध कराना है। वह पिछले 30-35 सालों से यह काम कर रही हैं। कमलाथाल इडली बनाने के लिए अब पुराने सिलबट्टे (पत्थर) का ही इस्तेमाल करती हैं। वो इलेक्ट्रिक स्टोन ग्राइंडर इस्तेमाल करने से मना करती हैं। उनकी रसोई में स्टोव नहीं पुराने जमाने की भट्टी है। सिर्फ गांव ही नहीं आसपास के लोग भी इडली का स्वाद चखने कमलाथाल की कदई (रसोई) में आते हैं।
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