ऑफ द रिकॉर्डः सदमे में विनम्र हुए अमित शाह, हार के बाद आया बदलाव

punjabkesari.in Thursday, Dec 27, 2018 - 08:24 AM (IST)

नेशनल डेस्कः 3 हिन्दी भाषी राज्यों के चुनावों में मिली हार के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अधिक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सदमे में हैं। यद्यपि वह प्रैस का सामना करते हुए बड़े दावे करते हैं और हार के कारणों के बारे में बयान देते हैं। इस पराजय के बाद उन्होंने कहा था कि वह हार के कारणों की समीक्षा के बाद एक प्रैस वार्ता का आयोजन करेंगे मगर वह दिन कभी नहीं आया। यहां तक कि 18 दिसम्बर मंगलवार को हुई भाजपा संसदीय पार्टी की बैठक में भी वह नहीं आए। यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी संसदीय पार्टी की बैठक को नजरंदाज किया और मुम्बई की यात्रा को अधिमान दिया। 11 दिसम्बर को आए नतीजों के बाद भाजपा अध्यक्ष ने न तो कोई बयान दिया और न ही कोई ट्वीट किया।
PunjabKesari
शाह गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री के समय से उनके विश्वसनीय प्रबंधक रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद शाह ने अपना कार्यालय दिल्ली में बदल लिया और एक जन नेता के रूप में उभरने की कोशिश कर रहे हैं। प्रत्येक चुनाव में शाह ‘शुभ संकेत’ के साथ चुनावी रैलियों को संबोधित करने लगे। उसके बाद मोदी खुद रैलियां करते थे। इस बार शाह ने प्रधानमंत्री के मुकाबले अधिक सार्वजनिक सभाओं को संबोधित किया। पार्टी के भीतरी सूत्रों का कहना है कि शाह ने उन्हें बताया कि वह मोर्चे का नेतृत्व करेंगे और इस बात को यकीनी रूप से कहा कि भाजपा 3 राज्यों में से कम से कम 2 में जीत हासिल करेगी मगर अब वह सदमे में हैं और उससे बाहर नहीं आ रहे हैं।
PunjabKesari
पार्टी प्रमुख अक्सर यह दावा किया करते थे कि भाजपा अगले 50 वर्षों तक देश पर शासन करेगी। अब उनकी भाषा में परिवर्तन आ गया है और वह विनम्र बन गए हैं। मुम्बई में उन्होंने कहा कि भाजपा अपने यहयोगी दलों के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगी और वह अपने इस दावे को भूल गए हैं कि भाजपा अकेले ही सरकार बनाएगी। उन्होंने पार्टी के महासचिव उपेन्द्र यादव को रामविलास पासवान के निवास स्थानपर भेजा और लोजपा नेता का गर्मजोशी से उनका स्वागत करने की प्रतीक्षा की। 11 दिसम्बर के बाद शाह के व्यवहार में बहुत बदलाव हुआ है।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Seema Sharma

Recommended News

Related News