पूर्वोत्तर को शांतिपूर्ण, विकसित बनाने के लिए किए जा रहे हैं तमाम प्रयास : अमित शाह
punjabkesari.in Thursday, Sep 15, 2022 - 11:26 PM (IST)
नई दिल्लीः केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वोत्तर को विकसित बनाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में शांति स्थापना की कोशिश है। केन्द्र, असम सरकार और आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के लिए एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए गृहमंत्री ने उक्त बात कही।
Another milestone towards PM @narendramodi Ji’s vision of a peaceful North East.
— Amit Shah (@AmitShah) September 15, 2022
A historic agreement between GoI, Govt of Assam and representatives of eight Adivasi groups was signed today in New Delhi to end the decades-old crisis of Adivasis and tea garden workers in Assam. pic.twitter.com/2xW4Siywu7
आधिकारिक बयान के अनुसार, आदिवासियों और असम के चाय बागान के कामगारों के बीच दशकों पुराने संकट को समाप्त करने के लिए इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। इस समझौते पर बीसीएफ, एसीएमए, एएएनएलए, एपीए, एसटीएफ, एएएनएलए (एफजी), बीसीएफ (बीटी) और एसीएमए (एफजी) ने हस्ताक्षर किया। गृहमंत्री ने कहा कि शांतिपूर्ण और समृद्ध पूर्वोत्तर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरुप हुआ यह समझौता पूर्वोत्तर को 2025 तक उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
उन्होंने कहा कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूर्वोत्तर को शांत और विकसित बनाने की दिशा में कई प्रयास किए गए हैं जिनमें सबसे प्रमुख पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करना है। शाह ने कहा कि असम के आदिवासी समूहों के 1,182 सदस्य हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।
शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर को शांत और समृद्ध बनाने के लिए वहां की अद्भुत संस्कृति का संवर्धन और विकास करने, सभी विवादों का निपटारा कर स्थायी शांति स्थापित करने और पूर्वोत्तर में विकास को गति देने की दिशा में कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इसमें संवादहीनता और हितों के टकराव के कारण अलग-अलग गुटों ने हथियार उठा लिए थे जिसके कारण इन गुटों और राज्य सरकारों तथा केन्द्रीय सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ों में हजारों लोगों की जान गई।
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने तय किया है कि 2024 से पहले पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच सीमा विवादों और सशस्त्र गुटों से संबंधित सभी विवादों को हल कर लिया जाएगा। जिन समूहों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया है वे 2012 से ही संघर्षविराम में हैं और तय शिविरों में रह रहे हैं।
परेश बरुआ के नेतृत्व वाले प्रतिबंधित उल्फा के कट्टरपंथी धड़े और कामतापुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के अलावा असम में सक्रिय अन्य सभी विद्रोही समूहों ने सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर लिया है। गृहमंत्री शाह ने कहा कि मोदी नीत सरकार का रिकॉर्ड है कि उसने अभी तक हुए सभी समझौतों में 93 फीसदी को पूरा किया है जिसके कारण असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में शांति स्थापित हो रही है।
समझौते के अनुसार, भारत और असम सरकार की जिम्मेदारी है कि वे आदिवासी समूहों की राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक आकांक्षाओं को पूरा करें। समझौते के अनुसार, आदिवासी समूहों की सामाजिक, सांस्कृतिक, जातीय और भाषाई पहचान को संरक्षित करने और उन्हें मजबूत बनाने का प्रावधान किया गया है। समझौता में आदिवासी कल्याण और विकास परिषद के गठन का प्रावधान है जिसका लक्ष्य चाय बगानों का तेजी से और लक्ष्यकृत विकास करना, सशस्त्र सदस्यों के पुनर्वास की व्यवस्था करना और चाय बगान मजदूरों के कल्याण का काम करना है।
आदिवासी आबादी वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अगले पांच साल में 1,000 करोड़ रुपए (500 करोड़ रुपए केन्द्र से, 500 करोड़ रुपये असम सरकार से) का विशेष पैकेज दिया जाएगा। तिवा लिबरेशन आर्मी और यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के सभी सदस्यों ने हथियारों और गोला-बारूद के साथ जनवरी में आत्मसमर्पण कर दिया था। कुकी ट्राइबल यूनियन के सदस्यों ने अगस्त में अपने हथियार डाल दिए थे। दिसंबर 2020 में, बोडो उग्रवादी समूह एनडीएफबी के सभी गुटों के लगभग 4,100 सदस्यों ने अधिकारियों के सामने अपने हथियार डाल दिए थे।
