AAP पर माकन का हमला, कहा- केजरीवाल के 20 विधायक तुरंत दें इस्तीफा

punjabkesari.in Saturday, Jun 24, 2017 - 04:43 PM (IST)

नई दिल्लीः कांग्रेस ने चुनाव आयोग के आदेश के बाद अनिश्चितता का माहौल खत्म करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों से नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा देने की मांग की है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि चुनाव आयोग ने स्पष्ट और सख्त आदेश दिया है। इसके बाद इन विधायकों के पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। अनिश्चितता का माहौल खत्म करने और इन सीटों पर जल्दी  उप चुनाव कराने के लिये लाभ पद के मामले में फंसे विधायकों को नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। माकन ने आज प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चुनाव आयोग ने ऐतिहासिक फैसला दिया है और स्वच्छ राजनीति की दुहाई देने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तुरंत अपने विधायकों से इस्तीफा दिलवाना चाहिए। 
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'आप' पर माकन का हमला
उन्होंने कहा कि 2004 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर लाभ पद को लेकर शिकायत हुई थी और उन्होंने बिना किसी दबाव के तुरंत इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद फिर विजयी होकर संसद में पहुंची थी। 'आप' पर हमला करते हुए माकन ने कहा कि यह पार्टी आम आदमी की बहुत बातें करती है किन्तु इसके विधायकों ने विधायक को मिलने वाली सुविधाओं को कम माना और मंत्री की सुविधाएं लेने के लिए देश के इतिहास में पहली बार किसी भी सरकार में 21 संसदीय सचिव बनाए गए। उन्होंने कहा कि निगम चुनावों को देखा जाए तो जिन सीटों से यह मामला जुड़ा है उनमें एक पर भी आप को बढ़त नहीं मिली थी। कांग्रेस ने तीन विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी। यह पूछे जाने पर कि संसदीय सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री ने की है तो विधायकों की बजाय केजरीवाल का इस्तीफा क्यों नहीं मांगा जा रहा, माकन ने कहा कि उन्हें तो उसी समय इस्तीफा दे देना चाहिए था जब उनके मंत्री घोटालों में फंसे थे और उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया गया था। उन्होंने कहा कि हमारा आकलन है कि उपचुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी 14 से 15 सीटें जीतेगी।   

आयोग ने अपने आदेश में क्या कहा?
गौरतलब है कि आप के भवाना सीट से विधायक पहले इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके है। यह सीट रिक्त है। आप के विधायकों ने उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लेख करते हुए आयोग में याचिका दायर की थी कि न्यायालय संसदीय सचिव के रूप में उनकी नियुक्ति रद्द कर चुका है। इसलिए आयोग को यह मामला खत्म कर देना चाहिए। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि वह 13 मार्च 2015 से 8 सितंबर 2016 की अवधि पर विचार करेगा क्योंकि इस दौरान ये विधायक संसदीय सचिव रहे। वकील प्रशांत पटेल ने विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने को लाभ के पद से जुड़ा मामला बताते हुए उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 8 सितंबर को भी अपने आदेश में विधायकों की संसदीय सचिव के रूप में नियुक्ति को रद्द कर दिया था।  


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