AIIMS ने 20 घंटे की सर्जरी के बाद दो भाइयों के सिर किए थे अलग, एक ने दम तोड़ा
punjabkesari.in Thursday, Nov 26, 2020 - 04:37 AM (IST)
नई दिल्लीः दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने सिर से जुड़े ओडिशा के दो भाई जग्गा और बलिया को 45 घंटे की सर्जरी के बाद अलग किया गया था। बुधवार को बलिया की मौत हो गई है। ओडिशा के एक अस्पताल ने बलिया की मौत की पुष्टि की है।
करीब साढ़े चार साल पहले जन्मे जग्गा और बलिया दो जुड़वां भाई आम जुडवां बच्चों से अलग थे क्योंकि उनके सिर आपस में जुड़े थे। दिल्ली के एम्स ने इन दोनों भाइयों को अलग-अलग करके न सिर्फ उन दोनों को नई पहचान दे दी बल्कि कठिन शल्य क्रिया करके रिकॉर्ड भी बना डाला था। दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों ने 20 घंटे तक दो सर्जरी के बाद इन दोनों बच्चों को अलग-अलग किया था।
बता दें कि एम्स ने सिर से जुड़े दो बच्चों जग्गा और बलिया को अलग करके नई जिंदगी दी थी। पिछले साल 7 सितंबर को दो साल तक देखभाल के बाद दोनों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। एम्स से जब वे घर को निकले, तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने चंद्रयान-2 की सफलता की जग्गा-बलिया की सर्जरी से तुलना की थी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि चंद्रयान-2 को सफल बनाने के लिए जितनी मेहनत इसरो के वैज्ञानिकों ने की। उतनी ही मेहनत एम्स के डॉक्टरों ने जग्गा और बलिया को अलग करने और उन्हें बचाने में की। सर्जरी को सफल बनाने वाले एम्स के न्यूरोसर्जन डॉक्टर दीपक गुप्ता ने पिछले साल बताया था कि जब 14 जुलाई 2017 को पहली बार दोनों भाइयों को एम्स लाया गया था, तब हमारे लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं था। सिर से जुड़े दोनों भाइयों की सर्जरी करना काफी रेयर था। कई रिस्क फैक्टर थे। अगर रिस्क फैक्टर 20 होता है तो सर्जरी नहीं की जाती है। यहां यह 18 था। लेकिन बच्चों के माता-पिता चाहते थे कि सर्जरी हो।
उसके बाद हमने प्लानिंग शुरू की। डॉक्टरों की एक टीम तैयार की गई और दुनिया भर में की गई ऐसी सर्जरी की स्टडी की गई। डॉक्टर दीपक ने बताया कि सर्जरी दो स्टेज में हुई थी। 20 घंटे की मैराथन सर्जरी में दोनों को अलग किया गया। सर्जरी के दौरान एक बड़ा चैलेंज आया, जब जग्गा को हार्ट अटैक आ गया। 20 मिनट तक उसे पंप दिया गया। इससे उसकी जान बच गई। ऑपरेशन थिएटर में दोनों भाइयों को करीब 15 दिन के लिए रखा गया था। इसके बाद उन्हें दूसरे आईसीयू में शिफ्ट किया। बाद में प्राइवेट वार्ड में रखा गया।
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