छोटी बहन से मोबाइल गेम पर हुआ झगड़ा तो लगा ली फां''सी, हर मां-बाप के लिए अलर्ट है यह खबर
punjabkesari.in Thursday, Oct 02, 2025 - 10:33 PM (IST)

नेशनल डेस्कः नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली के आदर्श नगर इलाके के लालबाग में मोबाइल फोन की लत ने एक परिवार की खुशियां छीन लीं। यहां 15 साल के नाबालिग लड़के ने छोटी बहन से मोबाइल गेम खेलने को लेकर हुए झगड़े के बाद आत्महत्या कर ली। यह घटना इलाके में चर्चा का विषय बन गई है और परिवार गहरे सदमे में है।
बहन से झगड़े के बाद उठाया खौफनाक कदम
जानकारी के मुताबिक, मृतक घर का इकलौता बेटा था। रविवार को उसकी छोटी बहन से मोबाइल पर गेम खेलने को लेकर कहासुनी हुई। इसी बात से आहत होकर उसने घर में फांसी लगा ली। परिजनों ने जब उसे फांसी लगाए देखा तो तुरंत उसे नीचे उतारा और अस्पताल ले गए। हालांकि, डॉक्टरों ने उपचार के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
परिवार को यकीन ही नहीं हो रहा कि मोबाइल जैसे छोटे से मुद्दे ने उनकी जिंदगी उजाड़ दी। माता-पिता ने अपने बेटे को लाड़-प्यार से पाला और हर सुख-सुविधा दी। वे उसकी छोटी-छोटी इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करते रहे। मगर मोबाइल की जिद और एक झगड़े ने उनका इकलौता बेटा उनसे छीन लिया। छोटी बहन को भी अब तक विश्वास नहीं हो रहा कि उसके भाई ने सिर्फ मोबाइल गेम के लिए इतना बड़ा कदम उठा लिया।
भारत में मोबाइल की लत: एक खतरनाक आंकड़ा
यह घटना सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। भारत में मोबाइल फोन की लत तेजी से बढ़ रही है। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की रिपोर्ट बताती है कि—
-
84% स्मार्टफोन यूजर सुबह उठने के 15 मिनट के भीतर फोन देख लेते हैं।
-
औसतन लोग 4.9 घंटे प्रतिदिन स्मार्टफोन पर बिताते हैं, जबकि 2010 में यह समय सिर्फ 2 घंटे था।
-
80 बार प्रतिदिन लोग अपना फोन चेक करते हैं।
-
आधा से ज्यादा समय स्मार्टफोन पर वीडियो और स्ट्रीमिंग कंटेंट देखने में निकल जाता है।
गांवों में भी बढ़ रही आदत
यह लत सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से बढ़ रही है।
-
भारत में ग्रामीण इंटरनेट यूजर्स की संख्या 352 मिलियन है, जो शहरों से करीब 20% ज्यादा है।
-
18 से 24 साल के युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यह वर्ग इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स और शॉर्ट वीडियो कंटेंट पर घंटों बिताता है।
-
रिपोर्ट के अनुसार, 2026 तक भारत में स्मार्टफोन उपयोगकर्ता 1 अरब तक पहुंच जाएंगे।
सबक और चेतावनी
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि मोबाइल एडिक्शन की गंभीरता को दिखाता है। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बच्चों और किशोरों पर मोबाइल की पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी है कि उनके जीवन पर सीधा असर पड़ रहा है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को मोबाइल पर पूरी तरह निर्भर न होने दें और वैकल्पिक गतिविधियों में उनकी रुचि बढ़ाएं।