जरा संभल कर! एक Whatsapp मैसेज ले सकता है किसी की जान
punjabkesari.in Friday, Aug 30, 2019 - 01:41 PM (IST)
नई दिल्लीः आपका एक वॉट्सऐप मैसेज किसी की जान भी ले सकता है। जी हां, आपका फॉरवर्ड किया हुआ एक वॉट्सऐप मैसेज किसी बेगुनाह की जान पर बना सकता है। दरअसल इन दिनों बच्चा चोरी की अफवाहें आग की तरह देशभर में फैल रही है। और इन अफवाहों ने न जाने अब तक कितनों की जान ले ली है। अब तक काफी लोगों की जान भीड़ ले चुकी है और भी बच्चा चोरी के आरोप में। गृह मंत्रालय सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों से ऐसी अफवाहें फैलाने वालों पर कड़ा ऐक्शन लेने को कह चुका है लेकिन इसमें कमी नहीं आई। बच्चा चोरी की जितनी भी घटनाएं हुईं उसमें एक बात समान थी कि पहले उस इलाके में एक वॉट्सऐप मैसेज वायरल होता है और कहा जाता है कि इलाके में बच्चा चुराने वाला गिरोह सक्रिय है, इसके बाद अगर इलाके में कोई किसी बच्चे को दुलारते भी दिखा तो उसे भीड़ बच्चा चोर समझ कर पीट डालती है।
वायरल वॉट्सऐप मैसेज में यह भी कहा जाता है कि बच्चों को चुराकर उनके अंग बेचे जा रहे हैं या उनके साथ गलत काम हो रहा है। हम जैसे ही अपने ग्रुप में ऐसा मैसेज देखते हैं तो झट से इसे आगे फॉरवर्ड कर देते हैं लेकिन हमारा ऐसा मैसेज किसी बेकसूर की जान ले सकता है, इसलिए ऐसे मैसेज कभी भी अफने दोस्तों के साथ शेयर नहीं करने चाहिए जब तक इसकी सत्यता का प्रमाण न हो। अब कई लोग कहेंगे कि वीडियो मैसेज ऐसी घटनाओं का प्रमाण है तो आपको बता दे कि जो कई बार जो वीडियो हमारे पास आते हैं वो किसी एक घटना को एडिट करके हमारे तक पहुंचा दिया जाता है और इस बात की पूरी कोशिश होती है कि हम उस वीडियो को सच मानकर आगे फॉरवर्ड कर दें और होता क्या है किसी भिखारी या बच्चे को पुचकारने वाले को बच्चा चोर समझ कर उसकी पिटाई कर दी जाती और लोग उसे पीटते हुए अपनी इतनी भड़ास उस पर निकाल देते हैं कि किसी बेकसूर की जान चली जाती।
फिर पुलिस जांच में सच्चाई सामने आती है कि फलां बंदा मानसिक तौर पर बमार था या वैसे ही बच्चे को दुलार रहा था। कई बार तो शरारती तत्व साजिश के तहत ही राह जाते किसी भिखारी को बच्चा चोर बताकर चिल्लाने लगते हैं और भीड़ आव देखती है न ताव उसे पीटना शुरू कर देते हैं। इतना ही नहीं कई लोग इस घटना का वीडियो बना लेेते हैं और फिर आगे से आगे यह फॉरवर्ड होता रहता है।
ऐसी घटनाएं उत्तर प्रदेश में ज्यादा होती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले दिनों एक बुजुर्ग महिला को इसी आधार पर बच्चा चोर समझकर पीट डाला गया कि उसकी गोद में जो बच्चा था वो गोरा था और महिला सांवली। बाद में पता चला कि वो बच्चा कोई और नहीं उस बुजुर्ग महिला का पोता था और वो उसे लेकर बाजार आई थी कि किसी ने शक के आधार पर शोर मचा दिया कि वो बच्चा चोर है और लोगों ने उसकी पिटाई कर दी। ऐसे में हर नागरिक का यह फर्ज बनता है कि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए ताकि किसी की बेगुनाह की जान न जाए।