एक गांव ऐसे भी...यहां अपने नाम के पीछे भेड़िया, बंदर और तोता लिखते हैं लोग, हवेलियों से होती है पहचान
punjabkesari.in Monday, Sep 09, 2024 - 06:33 PM (IST)
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के बड़ौत जिले में एक गांव ऐसा है, जहां रहने वाले लोगों की पहचान उनकी हवेलियों से होती है। इतना ही नहीं लोग अपने नाम के पीछे पशु-पक्षियों के नाम लगाते हैं। जैसे कि गांव में रहने किसी व्यक्ति का विरेश है तो उसका पूरा नाम विरेश भेड़िया है। ऐसे ही गांव के कई लोग अपने नाम के पीछे तोता, चिड़िया, गिलहरी, बकरी, बंदर आदि लगाते हैं। गांव में आने वाली चिट्ठियों पर भी यही उपनाम लिखे जाते हैं।

हवेलियों का निर्माण और ऐतिहासिक महत्व
बता दें कि इस गांव का नाम बामनौली है, जो हवेलियों के लिए जाना जाता है। इस गांव में 250 साल पहले हवेलियों का निर्माण शुरू हुआ था और आज भी गांव की पहचान इन हवेलियों से जुड़ी हुई है। गांव में कुल 50 से अधिक हवेलियां हैं, जिनमें से 24 से ज्यादा हवेलियां अपने पूर्वजों की गाथाओं को दर्शाती हैं। आज भी इन हवेलियों में वही पुरानी ईंटें लगी हुई हैं, जो हवेलियों के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। हालांकि अब गांव में आधुनिक मकानों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन पुरानी हवेलियां आज भी गांव की शान मानी जाती हैं।

गांव के चारों ओर स्थित है ऐतिहासिक मंदिर
गांव में कुछ लोग हवेलियों को बेचकर शहरों में रह रहे हैं, लेकिन लगभग 30 परिवार आज भी पूर्वजों की हवेलियों में रहकर अपने इतिहास को संजोए हुए हैं। हवेलियों में रहना उनके लिए गर्व की बात है, क्योंकि उनके पूर्वजों ने जब हवेलियों का निर्माण किया था, तब अधिकांश लोग कच्चे मकानों में रहते थे। वहीं, गांव में 11 ऐतिहासिक मंदिर भी हैं, जो गांव की पहचान बन चुके हैं। ये मंदिर गांव के चारों ओर स्थित हैं और इनमें से कई मंदिर दूर-दराज से श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।

उपनाम रिवाज पर गर्व महसूस करते हैं गांव के लोग
बामनौली गांव के लोगों का कहना है कि उनके गांव में एक खास रिवाज है, जिसमें लोग अपने नाम के साथ पशु-पक्षियों के नाम उपनाम के रूप में जोड़ते हैं। उनका कहना है कि यह रिवाज काफी पुराना है और गांव में चिट्ठियों, सरकारी कागजों, गन्ने की पर्चियों आदि पर उपनाम लिखा जाता है। गांव के लोग इस उपनाम रिवाज को लेकर गर्व महसूस करते हैं और इसे अपनी पहचान मानते हैं।
