आधा Rajasthan और आधा Haryana में फैला एक ऐसा अनूठा मंदिर, जहां नहीं चढ़ाई जाती कोई नकदी!

punjabkesari.in Friday, Feb 21, 2025 - 10:12 AM (IST)

नेशनल डेस्क। राजस्थान के बसई गांव में स्थित रामेश्वरदास धाम मंदिर देश में एक ऐसा अनूठा मंदिर है जहां नकद राशि चढ़ाई नहीं जाती और यहां सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं एक ही मंदिर में स्थापित हैं। यह मंदिर अपनी खासियत और धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है।

मंदिर का इतिहास और स्थापना

रामेश्वरदास धाम मंदिर की स्थापना रामेश्वरदास ने की थी। मंदिर का अग्रभाग राजस्थान के बसई गांव में है जबकि इसका पिछला भाग हरियाणा के ब्राह्मणवास में आता है। मंदिर में प्रतिवर्ष रामनवमी के अवसर पर मेला लगता है जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यह मेला इस मंदिर का एक महत्वपूर्ण आयोजन है।

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बसई गांव की स्थापना

बसई गांव की स्थापना लगभग चार सौ साल पहले हुई थी। गांव के कुछ प्रमुख लोग जैसे फतेहचन्द शर्मा, कैप्टन रामजीवन सिंह शेखावत, श्योलाल सिंह शेखावत और रामसिंह शेखावत के अनुसार, बटेरी (बानसूर) से दो भाई सांगासिंह और सिलेदी सिंह आए थे। इनमें से सांगासिंह ने बसई गांव की स्थापना की थी जबकि सिलेदी सिंह ने नंगलीसिलेदी गांव की स्थापना की थी।

 

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बसई गांव एक समय में पंचपाना के नाम से जाना जाता था क्योंकि यहां पांच अलग-अलग ठिकानों के थाने थे। इन ठिकानों के भवन आज भी मौजूद हैं। गांव के प्रमुख ठिकानों में खेतड़ी, जयपुर, मण्डावा, परसरामपुरा और महनसर शामिल थे।

बसई गांव की सामाजिक संरचना

बसई गांव में विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं जैसे राजपूत, ब्राह्मण, जाट, सोनी, जांगिड़, मेघवाल, मीणा, अहीर, खटीक, कुम्हार और अन्य। इस गांव की कुल जनसंख्या लगभग 6,540 है और यहां के मतदाताओं की संख्या 4,669 है।

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धार्मिक महत्व और किवदंती

गांव के पास बहने वाली दुग्धभागा नदी के किनारे स्थित मंदिर को ऋषियों की तपो भूमि के नाम से जाना जाता है। किवदंती है कि जब यह नदी अपने पूर्ण वेग से बहती थी तो नदी के पास स्थित बड़े मंदिर के मुख्य द्वार के पास संत नृसिंहदास दुग्धभागा नदी की आरती करते थे और नारियल व चूंदड़ी चढ़ाते थे। इस दौरान नदी मुख्यद्वार को छूकर मंदिर की थली के ऊपर नहीं चढ़ती थी जो एक धार्मिक चमत्कार के रूप में माना जाता है।

रामेश्वरदास धाम मंदिर और बसई गांव का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं और मंदिर की शांति और आस्था का अनुभव करते हैं।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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