भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ की आशंका के बीच भारत की मजबूत तैयारी का संकेत
punjabkesari.in Sunday, Aug 03, 2025 - 08:03 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर टैरिफ लगाने के संकेत के बाद भारत में चिंता की लहर जरूर दिखी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह घबराने का समय नहीं है। भारत अब उस स्थिति में है कि वह ऐसे वैश्विक झटकों का सामना आत्मविश्वास से कर सकता है।
2024 में अमेरिका ने भारत से करीब 77.5 अरब डॉलर का सामान आयात किया, जो भारत के कुल निर्यात का 17% हिस्सा है। कपड़ा, दवाइयाँ और आईटी सेवाएं जैसे क्षेत्र सबसे ज़्यादा प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते एक दशक में भारत ने जिस प्रकार से आत्मनिर्भरता और रणनीतिक लचीलेपन की दिशा में कदम उठाए हैं, वह अब एक मज़बूत ढाल का काम कर रहे हैं।
आत्मनिर्भर भारत: दूरदर्शी सोच
2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत योजना को शुरू में आलोचना का सामना करना पड़ा था। लेकिन आज यह स्पष्ट हो रहा है कि यह योजना भारत को वैश्विक आपूर्ति संकट, टैरिफ युद्ध और संरक्षणवाद जैसे खतरों से बचाने के लिए बनाई गई थी।
भारत का ट्रेड-टू-जीडीपी रेशियो (43.1%) अमेरिका (27%) और चीन (37%) से कहीं ज़्यादा है, जो यह दर्शाता है कि भारत ने खुद को वैश्विक व्यापार से अलग नहीं किया, बल्कि और मज़बूत रूप से जोड़ा है।
विनिर्माण क्षेत्र 2014 से 2023 के बीच सालाना 7.8% की दर से बढ़ा है, जो वैश्विक औसत से कहीं ज़्यादा है। सरकार की पीएलआई योजना ने Apple जैसी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया है, जो अब अपने 14% iPhone भारत में बनाती है (2018 में यह केवल 1% था)।
डिजिटल भारत की सफलता
भारत का डिजिटल इकोसिस्टम भी अब एक मज़बूत स्तंभ बन चुका है। 2024 में UPI के माध्यम से 2.1 ट्रिलियन डॉलर मूल्य के 131 अरब लेनदेन हुए। यह चीन के WeChat Pay और AliPay से भी आगे निकल गया। वित्तीय समावेशन में भी बड़ा सुधार हुआ है-अब 80% वयस्कों के पास बैंक खाते हैं, जबकि 2014 में यह संख्या सिर्फ 53% थी। आधार, UPI और ई-गवर्नेंस को मिलाकर बना डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) अब IMF द्वारा एक वैश्विक मॉडल के रूप में सराहा जा रहा है। इससे 2016 के बाद से आय असमानता में 6.5% की गिरावट आई है।
अवसंरचना और वैश्विक साझेदारियां
2014 से अब तक भारत में 1.5 लाख किलोमीटर नए राजमार्ग जुड़े हैं, जिससे सड़क नेटवर्क 59% बढ़ा है। माल ढुलाई की दक्षता में भी 12% की वृद्धि हुई है। भारत ने अपने व्यापारिक रिश्तों में भी विविधता लाई है। यूरोपीय संघ के साथ भारत का व्यापार 2024 में 120 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो अब अमेरिका से भी अधिक है। वहीं, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) के चलते व्यापार समय में 40% की कमी आएगी।
ऊर्जा आयात के मामले में भी भारत अब कुछ देशों पर निर्भर नहीं है। अफ्रीकी देशों से अब 15% तेल आता है (2014 में यह 8% था)। नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता भी 2014 से अब तक 400% बढ़कर 200 गीगावाट तक पहुँच गई है।
रणनीतिक स्वायत्तता: रूस और ईरान के साथ संबंध
रूस से भारत का 2024 में 13 अरब डॉलर का व्यापार, विशेष रूप से रियायती तेल की खरीद, घरेलू ऊर्जा कीमतों को स्थिर रखने में मदद कर रहा है। इसी तरह, ईरान के चाबहार बंदरगाह में भारत की भागीदारी मध्य एशिया और अफगानिस्तान से संपर्क के लिए रणनीतिक रूप से अहम है। भारत की यह रणनीति किसी पक्ष का विरोध नहीं, बल्कि स्वतंत्र और व्यावहारिक विदेश नीति का हिस्सा है। पश्चिमी देशों ने खुद भी कई बार ऐसे कदम चुपचाप उठाए हैं, जिन्हें भारत अब खुलकर और पारदर्शी ढंग से अपनाता है।
नए व्यापार समझौते भी बने ताकत
हाल ही में भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) ने भी भारत की वैश्विक उपस्थिति को और मज़बूत किया है।