रमजान में सहरी के लिए मुसलमानों को जगाता है हिंदू परिवार, कहा- इस काम से बहुत सुकून मिलता है

punjabkesari.in Wednesday, Mar 19, 2025 - 01:33 PM (IST)

नेशनल डेस्क: रमजान का महीना पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए एक बेहद पवित्र समय होता है, लेकिन इस पाक महीने से जुड़े एक अनोखे संबंध को दर्शाने वाले हैं गुलाब यादव, जो उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के कौड़िया गांव के निवासी हैं। गुलाब यादव और उनके 12 वर्षीय बेटे रमजान के दौरान सुबह सवेरे रोजेदारों को सहरी के लिए जगाते हैं, एक काम जो उन्होंने अपने पिता से सीखा था और अब 50 वर्षों से जारी परंपरा को निभा रहे हैं।

इस काम से बहुत सुकून मिलता है: गुलाब यादव
गुलाब यादव और उनका बेटा रोज रात एक बजे से तीन बजे तक गांव के मुस्लिम परिवारों के घरों पर दस्तक देते हैं और उन्हें सहरी के लिए जगाते हैं। यह परंपरा 1975 में उनके पिता चिरकिट यादव ने शुरू की थी और अब गुलाब यादव इसे अपनी अगली पीढ़ी में भी जारी रखना चाहते हैं। गुलाब यादव के अनुसार, रमजान के दौरान इस काम से उन्हें बहुत सुकून मिलता है और यह उन्हें अपने परिवार की जिम्मेदारी को समझने में मदद करता है।

परंपरा को निभाने के लिए रमजान के महीने लौटते हैं गांव
गुलाब यादव पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं और ज्यादातर समय दिल्ली में रहते हैं, लेकिन रमजान के महीने में वह अपने गांव लौट आते हैं ताकि अपने पिता द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को निभा सकें। यादव का कहना है कि वह अपने बेटे अभिषेक को भी इस काम में शामिल करते हैं ताकि भविष्य में उनकी अगली पीढ़ी भी इस जिम्मेदारी को समझे।

'गुलाब यादव का ये काम हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश करता है'
गुलाब यादव के इस नेक काम की पूरे गांव में सराहना की जाती है। उनके पड़ोसी शफीक कहते हैं कि "रोजेदारों को सहरी के लिए जगाना एक पुण्य का काम है"। वह मानते हैं कि गुलाब यादव का यह काम हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश करता है। शफीक के अनुसार, रमजान के दौरान यह कार्य गुलाब यादव के दिल से किए गए एक नेक प्रयास को दर्शाता है, जो किसी भी धार्मिक भेदभाव से ऊपर है। गुलाब यादव के इस नेक काम से न केवल कौड़िया गांव, बल्कि पूरे क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को भी बल मिलता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Harman Kaur

Related News