सनातन संस्कृति ने मिटाई  दूरियांः श्री कृष्ण प्रेम में दीवाने हुए विदेशी भक्त, बिहार में पहली बार दिखेगा भक्ति का अद्भुत नजारा

punjabkesari.in Monday, Aug 25, 2025 - 03:17 PM (IST)

International Desk: आज जहां भारत में कुछ लोग पश्चिमी सभ्यता की ओर आकर्षित होकर अपनी सनातन परंपरा और संस्कृति से दूरी बना रहे हैं, वहीं विदेशों में रहने वाले अनेक लोग श्रीकृष्ण भक्ति और भारतीय अध्यात्म की ओर लौट रहे हैं। श्रीकृष्ण की बांसुरी की ध्वनि और "हरे कृष्ण महा-मंत्र" की शक्ति ने विश्वभर के हृदयों को छुआ है। यही कारण है कि हजारों मील दूर यूरोप, अमेरिका, रूस जैसे कई देशों से विदेशी भक्त  भारत आकर इसकी पावनता को अनुभव करना चाहते हैं और दुनिया को बताते हैं कि भारतीय संस्कृति केवल परंपरा नहीं, बल्कि जीवन जीने की अद्भुत कला है।

 

इसी की मिसाल है कि बिहार के  पूर्णियां में संतोषी माता मंदिर, बस स्टैण्ड, जलालगढ़ में 04 सितंबर 2025 गुरुवार को शाम 6 बजे  प्रभु संकीर्तन का भव्य आयोजन होगा। इस कार्यक्रम में विदेशी भक्तों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाला संकीर्तन श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगा। कार्यक्रम में  परम पुज्य अनंत बिहारी गोस्वामी जी, मुख्य सेवा अधिकारी, श्री बांके बिहारी मंदिर (श्रीधाम वृंदावन) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर वे श्रीकृष्ण भक्ति की महिमा और मानव जीवन में आध्यात्मिकता के महत्व पर प्रकाश डालेंगे।

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विदेशी भक्तों  में श्री कृष्ण प्रेम का रंग

  • अमेरिका और यूरोप के कई शहरों की सड़कों पर आज  “हरे कृष्ण” संकीर्तन करते हुए विदेशी भक्त दिख जाते हैं, जो झूमते-नाचते राधे-श्याम का नाम गाते हैं।
  • रूस में तो “इस्कॉन” (ISKCON) के भक्त इतने बड़े स्तर पर संकीर्तन करते हैं कि वहां के नगरों की गलियां भी हरे कृष्ण की ध्वनि से गूंजती रहती है।
  • लंदन के ऑक्सफ़र्ड स्ट्रीट पर हर सप्ताह विदेशी युवक-युवतियां “हरे कृष्ण” गाते हुए भारतीय परंपरा का परचम लहरा दिखते हैं।
  • अमेरिका के हवाई अड्डों पर भी कई बार विदेशी युवक-युवतियां गीता का वितरण करते हुए दिख जाते हैं।
  • इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि भारतीय अध्यात्म आज वैश्विक आंदोलन का रूप ले चुका है।
     

आयोजन का समय संध्या 06 बजे से प्रारंभ होकर प्रभु इच्छा तक  रहेगा। इस दिव्य संध्या का आयोजन  बांके बिहारी परिवार (श्रीधाम वृंदावन) द्वारा किया जा रहा है। यह आयोजन केवल संकीर्तन ही नहीं, बल्कि एक संदेश है-भारतीय संस्कृति की आत्मा विश्वभर के हृदयों में जीवित है, और श्रीकृष्ण प्रेम से बढ़कर कोई शक्ति नहीं। 
 
 


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Content Writer

Tanuja

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