आंखों की वो जानलेवा बीमारी जिसमें आठ दिन में हो जाती है मरीज की मौत, नहीं है अभी तक इसका कोई स्टीक इलाज
punjabkesari.in Tuesday, Dec 03, 2024 - 10:28 PM (IST)
नेशनल डेस्कः कोविड-19 के प्रभाव से दुनिया उभर ही रही थी कि अब अफ्रीकी देश रवांडा में मारबर्ग वायरस के फैलने की खबरें सामने आ रही हैं। इस वायरस के कारण अब तक 15 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग संक्रमित हो चुके हैं। बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 17 देशों में ट्रैवलर्स के लिए अलर्ट जारी कर दिया है। मारबर्ग वायरस के लक्षणों की गंभीरता के कारण इसे "ब्लीडिंग आई वायरस" भी कहा जाता है, क्योंकि इससे संक्रमित होने पर लोगों की आंखों से खून बहने लगता है। इस वायरस का मृत्यु दर 50% से 80% के बीच होता है, और गंभीर मामलों में संक्रमित व्यक्ति सिर्फ आठ से नौ दिन में अपनी जान गवा सकता है।
मारबर्ग वायरस क्या है?
मारबर्ग वायरस, इबोला वायरस के जैसे ही एक वायरल हेमरेजिक फीवर (Viral Hemorrhagic Fever) का कारण है। यह शरीर के रक्त वाहिकाओं (blood vessels) को नुकसान पहुँचाता है, जिससे आंतरिक रक्तस्राव (internal bleeding) हो सकता है। WHO के अनुसार, मारबर्ग वायरस एक "जूनोटिक" वायरस है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह वायरस खासकर चमगादड़ों से उत्पन्न होता है और उनका रक्त, मूत्र (urine) या लार (saliva) इंसान के शरीर में प्रवेश करने से फैलता है। ऐसे में, यह वायरस बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है और अब तक कई मौतों का कारण बन चुका है।
मारबर्ग वायरस का सबसे पहला मामला 1967 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में पाया गया था। उस समय इसे मारबर्ग और इसके आस-पास के शहरों में काम करने वाले लैब टेक्नीशियनों में फैलने के कारण पहचाना गया था। इस वायरस का संक्रमण अब तक अफ्रीकी महाद्वीप के कुछ हिस्सों में ही देखा गया है, लेकिन हाल ही में रवांडा में इसके मामलों में वृद्धि हुई है, जिससे वैश्विक चिंता का कारण बन चुका है।
मारबर्ग वायरस के लक्षण
मारबर्ग वायरस के लक्षण शुरूआत में इबोला वायरस के समान ही होते हैं, और इनमें तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, गले में खराश, रैशेज और दस्त जैसी समस्याएं शामिल हो सकती हैं। जैसे-जैसे वायरस का असर बढ़ता है, स्थिति और गंभीर हो जाती है। गंभीर मामलों में आंतरिक रक्तस्राव, अंगों का फेल होना (organ failure) और यहां तक कि मानसिक भ्रम (mental confusion) भी देखा जा सकता है। मरीज के शरीर में अचानक वजन की कमी, आंखों, नाक, मुंह और जननांगों से खून बहना, और असहनीय दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
मारबर्ग वायरस का संक्रमण आमतौर पर 3 से 9 दिनों में ही गंभीर रूप ले सकता है, और अगर लक्षणों का सही तरीके से इलाज न किया जाए, तो मरीज की मौत हो सकती है।
मारबर्ग वायरस का इलाज
दुर्भाग्यवश, वर्तमान में मारबर्ग वायरस का कोई सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। इस वायरस की मृत्यु दर 24% से लेकर 88% तक हो सकती है, जोकि संक्रमित व्यक्तियों की शारीरिक स्थिति और इलाज की समयसीमा पर निर्भर करता है। हालांकि, संक्रमित लोगों को लक्षणों के आधार पर उपचार प्रदान किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से रक्त उत्पाद (blood products), इम्यून थैरेपी और कुछ दवाएं शामिल होती हैं।
वर्तमान में, मारबर्ग वायरस के खिलाफ कोई प्रभावी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा इस वायरस पर शोध किया जा रहा है, और वैक्सीन विकसित करने की प्रक्रिया प्रारंभिक चरणों में है। इस बीच, रोगियों का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जा रहा है, और संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल करते समय अतिरिक्त सावधानियां बरती जाती हैं।
मारबर्ग वायरस से बचाव के उपाय
मारबर्ग वायरस से बचाव के लिए सावधानी रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। चूंकि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थों से फैलता है, इसलिए इसके संपर्क में आने से बचना चाहिए।
कुछ मुख्य बचाव उपायों में शामिल हैं:
- सामाजिक दूरी बनाए रखें (Social Distancing) – संक्रमित क्षेत्रों में यात्रा करने से बचें।
- मास्क पहनें – वायरस के फैलने से बचने के लिए मास्क पहनना जरूरी है।
- हाथों की सफाई – बार-बार हाथ धोना वायरस के संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है।
- संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क से बचें – संक्रमित व्यक्तियों के साथ किसी भी प्रकार का शारीरिक संपर्क न करें।
मारबर्ग वायरस का फैलाव कम करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य स्वास्थ्य संगठनों द्वारा जागरूकता अभियानों का संचालन किया जा रहा है। इसके साथ ही, दुनिया भर के देशों को सावधान रहने की आवश्यकता है ताकि इस खतरनाक वायरस के प्रसार को रोका जा सके।
मारबर्ग वायरस एक अत्यंत घातक वायरस है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है और इसकी मृत्यु दर बेहद उच्च है। हालांकि, फिलहाल इसका कोई प्रभावी इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों की टीमें इस पर शोध कर रही हैं। सावधानी और सही समय पर उपचार इस वायरस के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकते हैं। हमें इस वायरस से बचाव के उपायों को गंभीरता से अपनाने की आवश्यकता है, ताकि इसके फैलाव को रोका जा सके।