जज्बा: 98 वर्षीय बुजुर्ग ने पास की MA, कहा- सपना हुआ पूरा

punjabkesari.in Tuesday, Sep 26, 2017 - 06:13 PM (IST)

पटना: पढऩे और लिखने की कोई उम्र नहीं होती ऐसा साबित करके दिखाया है 98 वर्षीय राजकुमार वैश्य ने। अपनी रिटायरमेंट के चार दशक बाद राजकुमार ने इस उम्र में न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि सामान्य छात्रों के साथ बैठकर परीक्षा देकर एमए का कोर्स पूरा किया। उन्होंने 83 साल पहले मैट्रिक की थी। 2 साल पहले जब राजकुमार ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर में नामांकन के लिए आवेदन किया था तो विवि प्रशासन के अधिकारी खुद उनके घर दाखिला लेने गए थे। 

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राजकुमार ने बताया कि आखिरकार, मैंने अपना सपना पूरा कर लिया है। अब मैं परास्नातक हूं। मैंने इस उम्र में यह साबित करने का निर्णय लिया था। कोई भी अपना सपना पूरा कर सकता है और कुछ भी हासिल कर सकता है। मैं एक उदाहरण बन गया हूं। उन्होंने कहा कि वह युवाओं को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, मौका हर वक्त रहता है, केवल खुद पर विश्वास होना चाहिए। उन्होंने माना कि इस उम्र में विद्यार्थी की दिनचर्या का निर्वहन आसान नहीं था। राजकुमार ने बताया कि सुबह जल्दी उठ कर परीक्षा की तैयारी करना मेरे लिए काफी मुश्किल था।
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एनओयू के अधिकारियों ने बताया कि वैश्य परास्नातक परीक्षा के प्रथम वर्ष 2016 और अंतिम वर्ष 2017 के दौरान अपने पड़पोते-पड़पोतियों की उम्र से भी कम के बच्चों के साथ बैठकर निर्धारित तीन घंटे की परीक्षा देते थे। वह अंग्रेजी में लिखते थे और सभी परीक्षाओं में करीब दो दर्जन से ज्यादा शीट का प्रयोग करते थे। वैश्य को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने भी परास्नातक के लिए आवेदन करने वाले सबसे उम्र दराज शख्स के रूप में मान्यता दी है। वैश्य ने आगरा विश्वविद्यालय से 1938 में स्नातक की परीक्षा पास की थी और 1940 में कानून की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने कहा, च्च्पारिवारिक जिम्मदारी के चलते वह परास्नातक पाठ्यक्रम में शामिल नहीं हो सके थे।


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