जम्मू-कश्मीर में इस साल 93 एनकाउंटर, सुरक्षाबलों ने 186 आतंकियों को जहन्नुम भेजा, अब शुरू होगा 'मिशन जीरो टेरर'

punjabkesari.in Saturday, Dec 31, 2022 - 04:59 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कश्मीर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) विजय कुमार ने शनिवार को कहा कि वर्ष 2022 में 93 सफल मुठभेड़ों में 42 विदेशियों सहित 172 आतंकवादी मारे गए। कुमार ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में कहा, ‘‘ वर्ष 2022 के दौरान, कश्मीर में कुल 93 सफल मुठभेड़ हुए, जिसमें 42 विदेशी आतंकवादियों सहित 172 आतंकवादी मारे गए। ''

कुमार ने कहा कि वर्ष के दौरान मारे गए अधिकतम आतंकवादी पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और इससे जुड़े संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) के 108, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) 35, हिजबुल-मुजाहिदीन (एचएम) के 22, अल-बदर के चार और अंसार-उल-गज़वातुल हिंद के तीन आतंकवादी शामिल थे। श्री कुमार ने कहा कि इस साल आतंकवादी रैंकों में 100 नई भर्तियों में पिछले साल की तुलना में 37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अधिकतर युवा (74) लश्कर में शामिल हुए। कुल भर्ती में से 65 आतंकवादी मुठभेड़ में मारे गए, 17 आतंकवादी गिरफ्तार किए गए और 18 आतंकवादी अब भी सक्रिय हैं।

एडीजीपी ने कहा कि इस साल नए भर्ती हुए बड़ी संख्या में आतंकवादियों मारे गये। इस वर्ष मारे गए कुल 65 नए भर्ती आतंकवादियों में से 58 (89 प्रतिशत) शामिल होने के पहले महीने के भीतर ही मार दिये गये। उन्होंने कहा कि मुठभेड़ों और मॉड्यूल के भंडाफोड़ के दौरान भारी मात्रा में हथियार (360) बरामद किए गए जिनमें 121 एके सीरीज राइफलें, आठ एम4 कार्बाइन और 231 पिस्तौल शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (आईईडी), स्टिकी बम और ग्रेनेड की समय पर जब्ती से कई बड़ी आतंकवादी घटनाएं टल गईं। वर्ष के दौरान 21 स्थानीय लोगों (तीन कश्मीरी पंडितों सहित छह हिंदू और 15 मुसलमान) और अन्य राज्यों के आठ सहित कुल 29 नागरिकों को आतंकवादियों ने मार डाला।

एडीजीपी कश्मीर ने कहा कि बासित डार और आदिल वानी को छोड़कर इन आतंकवादी अपराधों में शामिल सभी आतंकवादियों को मार गिराया गया है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमलों/मुठभेड़ों के दौरान जम्मू-कश्मीर पुलिस के 14 जवानों सहित कुल 26 सुरक्षा बलों के जवानों ने शहादत हासिल की। उन्होंने कहा कि इन आतंकवादी अपराधों में शामिल अधिकांश आतंकवादियों को मार गिराया गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष समाज में दो उल्लेखनीय परिवर्तन देखे गए। घर मालिकों ने आतंकवादियों को शरण देने से इनकार करना शुरू कर दिया और माता-पिता अपने बच्चों के आतंकवाद में शामिल होने पर गर्व महसूस नहीं करते।

एडीजीपी ने एक अन्य ट्वीट में कहा,‘‘आतंकवादियों के माता-पिता उनसे वापस लौटने की अपील करते हैं। आतंकवादियों को खुलेआम कोसते हैं और अपने बच्चों की वापसी के लिए जेकेपी के साथ काम करते हैं।'' उन्होंने कहा,‘‘कानून और व्यवस्था के मोर्चे पर, हमने शांति और स्थिरता में शत-प्रतिशत सफलता हासिल की है। पिछले तीन से अधिक वर्षों में कानून एवं व्यवस्था की समस्याओं से निपटने के दौरान किसी भी नागरिक की जान नहीं गई।''

कुमार ने कहा कि कोई हड़ताल नहीं हुई, कोई सड़क पर हिंसा नहीं हुई, विशेष रूप से मुठभेड़ स्थलों पर कोई पत्थरबाजी की घटना नहीं हुई, कोई इंटरनेट बंद नहीं हुआ, मारे गए आतंकवादियों का कोई अंतिम संस्कार नहीं हुआ, आतंकवादियों का कोई महिमामंडन नहीं हुआ और इससे समाज के सभी वर्गों को लाभ हुआ। उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियानों के मोर्चे पर सबसे बड़ा लाभ यह है कि सक्रिय आतंकवादियों की कुल संख्या को दो अंकों में ले आयी गयी। उन्होंने कहा कि एचएम के प्रमुख फारूक नल्ली और लश्कर कमांडर रियाज सेत्री को छोड़कर आतंकवादी संगठनों के सभी प्रमुखों और शीर्ष कमांडरों को बेअसर कर दिया गया।

कुमार ने कहा, ‘‘आतंकवादी पारिस्थितिक तंत्र के खिलाफ लगातार कार्रवाई चल रही है। पहचान की प्रक्रिया, हर धमकी का संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज कर तथा गिरफ्तारी कर पीएसए के तहत मामला दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि इस साल के दौरान आतंकवाद से जुड़े 49 मामलों में संपत्तियों को कुर्क किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘ हम नशीली दवाओं के खतरे पर प्रभावी कारर्वाई पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस साल कुल 946 मामले दर्ज किए गए और 1560 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा 132 ड्रग पेडलर के खिलाफ पीआईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। '' उन्होंने कहा कि अब तक दो दर्जन से अधिक लड़कों को आतंकवाद में शामिल होने और परिवारों के साथ खुशी से रहने से वापस लाया गया है।


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Content Writer

Yaspal

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