8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारियों के वेतन में होगा बंपर इजाफा, जानें पूरा लेखा जोखा
punjabkesari.in Friday, Nov 21, 2025 - 07:43 PM (IST)
नेशनल डेस्क : देश के करोड़ों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की निगाहें इस समय 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर बढ़ती चर्चाओं पर टिकी हैं। केंद्र से लेकर राज्यों तक इसके लागू होने की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। माना जा रहा है कि आयोग अगले 18 महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है और जनवरी 2026 से नई वेतन व्यवस्था लागू हो सकती है। यह खबर कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आई है, लेकिन सरकारों के लिए भारी वित्तीय चुनौती भी बन रही है। अनुमान है कि केंद्र और राज्य मिलकर हर साल करीब 3.7 से 3.9 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च वहन करेंगे।
कर्मचारियों की सैलरी में 25% तक बढ़ोतरी संभव
अगर 8वां वेतन आयोग लागू होता है, तो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों की बेसिक सैलरी में 20 से 25% तक की सीधी बढ़ोतरी हो सकती है। इसका लाभ देश के लगभग 2.5 करोड़ लोगों को मिलेगा, जिनमें 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी, 65 लाख केंद्रीय पेंशनर और करीब 1.85 करोड़ राज्य कर्मचारी शामिल हैं। आय में बढ़ोतरी से कर्मचारियों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग भी तेज हो सकती है।
सरकार पर पड़ेगा 3.9 लाख करोड़ रुपये का बोझ
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वेतन आयोग लागू होने के बाद केंद्र सरकार पर सालाना 1.4 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। जबकि राज्यों को संयुक्त रूप से 2.3 से 2.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च झेलना पड़ेगा। कुल मिलाकर 3.7 से 3.9 लाख करोड़ रुपये की वार्षिक वित्तीय आवश्यकता होगी, जो सरकारों की आर्थिक सेहत पर बड़ा दबाव डालेगी।
जीडीपी और वित्तीय घाटे पर प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र का वित्तीय घाटा वर्तमान 4.4% से बढ़कर 5% तक जा सकता है। कई राज्य तो पहले से ही कमजोर आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं, जहां वेतन और पेंशन का बिल 9-10 लाख करोड़ रुपये वार्षिक तक पहुंच चुका है। अगर 70% राज्य वेतन आयोग लागू करते हैं, तो उनका वित्तीय घाटा भी 3% की सीमा पार कर 3.7% तक पहुंच सकता है। इससे विकास कार्यों पर खर्च घटने की आशंका है।
कम हो सकता है सरकारों का ‘वित्तीय स्पेस’
विश्लेषकों का कहना है कि वेतन और पेंशन का कुल खर्च 2025-26 तक 5.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में जब वेतन में 20-25% की बढ़ोतरी होगी, तो केंद्र और राज्य सरकारों के पास वित्तीय फैसलों के लिए कम गुंजाइश बचेगी। स्थिति संभालने के लिए सरकारें टैक्स बढ़ाने, उधार लेने या खर्चों में कटौती जैसे कदम उठा सकती हैं। यदि उत्पादकता में समान अनुपात में वृद्धि नहीं हुई, तो यह लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
