ऑफ द रिकार्ड: कोरोना मरीजों के इंतजार में रेलवे कोच के 80,000 बैड

punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2020 - 09:01 AM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के चलते अस्पतालों में बैड्स की किल्लत पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। ऐसे में रेलवे द्वारा 5,231 कोचों में कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए 80,000 बैड्स इस कमी को पूरा कर सकते हैं, लेकिन हकीकत में ये अभी तक केवल शोपीस बने हुए हैं।

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रेलवे का अब यह कहना है कि हम कोच देंगे, पानी देंगे और बिजली देंगे। कोच तभी मिलेंगे, जब राज्य सरकारें स्टाफ देंगी यानी योजना ही गलत बनाई। रेलवे ने 10 कोच शकूरबस्ती में लगाए हैं और 60 कोच तेलंगाना को दिए यानी 5,231 में से सिर्फ 70 कोच दिए गए हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी पांच स्थानों पर ये कोच कोरोना संक्रमितों के लिए आरक्षित रखे गए हैं, बाकी वैसे ही खड़े हैं। रेलवे के सैंकड़ों इंजीनियरों ने दो महीने में कोच तैयार कर दिए और वे बेकार खड़े हैं। सबसे बड़ा संकट तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में है, मगर वहां कोच ही नहीं हैं। 

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प्रत्येक कोच में 16 लोगों को आइसोलेशन में रखने की व्यवस्था है। कोच में पंखे और रोशनी की व्यवस्था की गई है। शौचालयों को बाथरूम बना दिया गया है। इसके अतिरिक्त मोबाइल और लैपटॉप चार्ज करने की भी व्यवस्था है। रेलवे ने अप्रैल के पहले सप्ताह में कहा था कि 2,546 से अधिक डॉक्टर और 35,153 पैरा मैडीकल स्टाफ को कोरोना संकट से निपटने के लिए तैयार किया है। हालांकि ये कोच इस्तेमाल किए जाने का इंतजार ही कर रहे हैं। इसे लेकर सवाल खड़े हुए तो मंत्रालय की ओर से सफाई भी दी गई।

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इन कोचों का इस्तेमाल न होने के चलते रेलवे बोर्ड ने जरूरत पडऩे पर इनमें से 60 प्रतिशत का इस्तेमाल श्रमिक स्पैशल ट्रेन में करने की छूट भी दे दी थी। दिल्ली में जिस तेजी से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए जुलाई तक इनकी तादाद 5.50 लाख हो जाएगी। इनमें से 80,000 लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। ऐसे में इस किल्लत को इन रेल कोचों का इस्तेमाल कर काफी हद तक पूरा किया जा सकता है, लेकिन हकीकत में ये अभी तक केवल शोपीस बने हुए हैं।


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vasudha

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