इलेक्शन डायरी: ...तो 70 साल पहले भारत को मिल जाती संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीट

Sunday, Apr 21, 2019 - 04:43 AM (IST)

इलेक्शन डेस्क: देश की आजादी के बाद अब तक के सारे प्रधानमंत्रियों ने अपनी राजनीतिक समझ और दूरदर्शिता के हिसाब से अपने कार्यकाल के दौरान देश के लिए फैसले किए लेकिन पूर्व प्रधानमंत्रियों के कई फैसले ऐसे भी थे जिनके परिणाम देश को लंबे समय तक भुगतने पड़े। 

इलेक्शन डायरी की इस विशेष सीरीज में हम आज से उन सियासी चूकों की बात करेंगे जो न होतीं तो भारत की स्थिति शायद कुछ अलग होती। भारत आज भी संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए संघर्ष कर रहा है लेकिन 1950 में यदि जवाहर लाल नेहरू मौका न चूकते तो भारत को यह सीट आज से 69 साल पहले ही मिल गई होती।

उस समय नेहरू निर्वाचित प्रधानमंत्री भी नहीं थे लेकिन उन्होंने 1950 में अमरीका द्वारा भारत को दी गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की पेशकश को ठुकरा दिया था। दरअसल उस समय अमरीका ने एशिया से एक सदस्य शामिल करने के लिए चीन के मुकाबले में भारत को वरीयता दी थी लेकिन जवाहर लाल नेहरू का झुकाव चीन की तरफ होने के कारण उन्होंने यह सीट लेने से इंकार कर दिया था। नेहरू का मत था कि चीन की कीमत पर भारत यह सीट नहीं लेगा। 

इसके बाद सोवियत संघ ने भी 1955 में भारत को इसी तरह की पेशकश की थी लेकिन जवाहर लाल नेहरू ने इस ऑफर को भी ठुकरा दिया था। उस समय नेहरू द्वारा इस सीट को ठुकराए जाने का कारण यह था कि भारत को लग रहा था कि उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में छठी सीट अपने आप हासिल हो जाएगी। ऐसे में वह सोवियत संघ की पेशकश को मंजूर करके चीन को नाराज नहीं करना चाहता था लेकिन इतिहास गवाह है कि बाद में चीन ने ही भारत की पीठ में छुरा घोंपा था और भारत आज तक यह सीट हासिल करने के लिए दुनिया भर में संघर्ष कर रहा है।

Pardeep

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