दुनिया के वन पशुओं की आबादी में आई 53 फीसद की गिरावट, जलवायु पर है गंभीर संकट

punjabkesari.in Tuesday, Aug 20, 2019 - 04:15 PM (IST)

 नैशनल डैस्कः पृथ्वी पर एक तरफ विश्व जनसंख्या विस्फोट की तरफ बढ़ रही है दूसरी तरफ मानव जीवन के लिए अनिवार्य पेड़-पौधे और पशुओं की कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर आ खड़ी हुई है। वहीं बीते मंगलवार को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने एक शोध ‘बिलो द कैनोपी’ प्रकाशित किया जिसने प्रकृति और पशु प्रेमियों को गहरी चिंता में डाल दिया है। 

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इस शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने विश्व भर में जंगली पशुओं की 268 प्रजातियों और वनों की अन्य 455 आबादी का गहन अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि पक्षियों की संख्या, स्तनपायी, उभयचर( पानी और जमीन पर रहने वाले जीव) और रेंगनेवाले जंतुओं की आबादी में 1970 के बाद से औसतन 53 फीसद की गिरावट आई है।

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कौन है जिम्मेदार 
इस रिपोर्ट के प्रकाश में आने के बाद डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने विश्व समुदाय से अपील की है कि वे वैश्विक फोरैस्ट इमरजैंसी की घोषणा करें और स्थायी वानिकी नीतियां बनाकर वन्य जीवों की गिरती संख्या पर लगाम लगाएं। शोध के अनुसार वन्य जीवों की संख्या में गिरावट के लिए 60 फीसद जिम्मेदार वनों की अंधाधुंध कटाई है।

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वनों की वृद्धि पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने इस बात पर जोर दिया है कि पशु प्रजातियों की एक समृद्ध अवस्था वनों की वृद्धि के लिए आवश्यक है। जंगलों में वन्य जीवों की संख्या कम होने से वनों की वृद्धि और उनके कार्बन सोकने की झमता में गिरावट आती है। इससे जलवायु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जंगल मानव के प्राकृतिक साथी हैं। यह जलवायु परिवर्तन से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। इसलिए जलवायु संकट से बचने के लिए हमें वन और वन्य जीवों का संरक्षण करना होगा।

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Author

Ravi Pratap Singh

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