वेंटिलेटर पर मौत से जंग लड़ रही 5 महीने की बच्ची, जान बचाने के लिए चाहिए 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन

punjabkesari.in Tuesday, Jan 26, 2021 - 12:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क: एक 5 महीने की बच्ची इन दिनों वेंटिलेटर पर है। उसकी जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ दो महीने का फासला है और बच्ची की जान बचाने के लिए उसको 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन चाहिए। 5 महीने की तीरा कामत का पिछले कुछ दिनों से मुंबई के एसआरसीसी अस्पताल  (SRCC Hospital Mumbai) में इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि तीरा एसएमए टाइप 1 (SMA Type 1) की बीमारी से पीड़ित है जोकि काफी दुर्लभ बीमारी है। SMA Type 1 एक ऐसी बीमारी है जिसमें बच्चे की जिंदा रहने की संभावना ज्यादा से ज्यादा 18 महीने ही रहती है। तीरा को बचाने के लिए अब एक इंजेक्शन पर आस टिकी हुई है। इस इंजेक्शन को अमेरिका से खरीद कर भारत लाया जाएगा और इसकी कीमत करोड़ों में हैं। 

 

तीरा के पिता मिहिर कामत ने बताया कि उसके जन्म के समय सब कुछ सामान्य था और वो आम बच्चों के मुकाबले थोड़ी लंबी थी, इसी कारण उसका नाम तीर पर तीरा रखा गया, लेकिन धीरे-धीरे जब हमें उसकी बीमारी का आभास हुआ। जब तीरा अपनी मां का दूध पीती थी तो उसका दम घुटता था। जब डॉक्टरों को उसे दिखाया गया तो पता चला कि तीरा SMA Type 1 बीमारी से ग्रस्त है। डॉक्टरों ने कहा कि इस बीमारी का भारत में कोई इलाज नहीं है और तीरा 6 महीने से ज्यादा जिंदा नहीं रहेगी। डॉक्टरों की बातें सुनकर सब एक दम सन्न रह गए। 

PunjabKesari

खास इंजेक्शन से ठीक होगी बीमारी
तीरा के पिता ने बताया कि एक खास इंजेक्शन से उनकी बेटी के ठीक होने की संभावना है। यह इंजेक्शन अमेरिका से मिलेगा और इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है। मिहिर कामत ने कहा कि उनके पास इतने रुपए नहीं थे लेकिन क्राउडफंडिंग के जरिए उन्होंने कुछ पैसे जुटाए हैं। पर इतने रुपए नाकाफी हैं कियोंकि सिर्फ इंजेक्शन 16 करोड़े का आएगा, उसके बाद दूसरे खर्चे भी होंगे इसलिए तीरा के माता-पिता सोशल मीडिया पर लोगों से मदद की गुहार ला रहे हैं। परिवार और डॉक्टरों को उम्मीद है कि इस इंजेक्शन के लगने के बाद बच्ची की मांसपेशियां फिर से काम करने लगेगी।

PunjabKesari

क्या है SMA टाइप 1 बीमारी?
किसी भी शख्स के शरीर में मांसपेशियों के ज़िंदा रखने के लिए एक खास जीन की जरूरत होती है क्योंकि  खास जीन एक ऐसा प्रोटीन तैयार करते हैं जो मांसपेशियों को जिंदा रखते हैं। तीरा के मामले में ऐसा नहीं है। तीरा के शरीर में वो खास जीन नहीं हैं इसे ही SMA टाइप 1 बीमारी कहते है। इसमें दिमाग के नर्व सेल्स और स्पाइनल कोर्ड काम नहीं करते। ऐसे हालात में दिमाग तक वो सिंगनल नहीं पहुंचता है जिससे मांसपेशियों को कंट्रोल किया जा सके। जिन बच्चों में यह बीमारी होती है वो बिना दूसरों की मदद से चल-फिर भी नहीं सकते और धीरे-धीरे बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज की उम्र भी ज्यादा नहीं होती।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Seema Sharma

Recommended News

Related News