'5 लाख मौलवी बना रहे हैं भारत को इस्लामिक राष्ट्र'...हिंदूवादी नेता का विवादित बयान, वायरल वीडियो आया सामने
punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2025 - 02:34 PM (IST)
नेशनल डेस्क : राजस्थान के बाड़मेर जिले में आयोजित एक हिंदूवादी जनसभा ने एक बार फिर समाज में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। एक हिंदू नेता ने इस सभा में विवादित बयान देते हुए कहा कि भारत में 5 लाख मौलवी मदरसों के ज़रिए मुसलमानों को जिहाद की ट्रेनिंग दे रहे हैं, और उनका उद्देश्य भारत को "इस्लामिक राष्ट्र" बनाना है। इस बयान ने राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है।
आत्मनिर्भरता से लेकर जिहाद तक के आरोप
सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए हिंदूवादी नेता ने मुसलमानों पर आरोप लगाया कि वे हिंदुओं की संपत्तियों पर कब्जा करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने एक मुस्लिम व्यक्ति से कथित बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि मुसलमान आने वाले समय में हिंदुओं को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए पूरी तरह से संगठित हो चुके हैं। इस बयान से उनके बीच भय और असुरक्षा की भावना पैदा करने की कोशिश की गई, जो समाज में एक नई बहस का कारण बन गया।
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“5,00,000 मौलवी भारत को "इस्लामिक राष्ट्र" बनाने का काम कर रहे हैं!”
— Muslim Spaces (@MuslimSpaces) January 15, 2025
राजस्थान के बाड़मेर में 10 जनवरी को समरसता यात्रा में एक हिंदूवादी वक्ता ने झूठा दावा किया कि देश में 5,00,000 मौलवी मदरसों के माध्यम से मुसलमानों को "जिहाद" का प्रशिक्षण देकर भारत को "इस्लामिक राष्ट्र" बनाने… pic.twitter.com/WhOarx9WVo
पहले भी ऐसे बयान हो चुके हैं वायरल
यह पहला मौका नहीं है जब हिंदूवादी नेताओं के बयान से समाज में तनाव पैदा हुआ है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में आयोजित एक जनसभा में हिंदू संगठन के नेता ने मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की बात की थी। साथ ही, काशी और मथुरा की मस्जिदों को 'आजाद' कराने का संकल्प भी लिया गया था। इन घटनाओं से देशभर में धार्मिक भेदभाव को लेकर चिंता और विवाद गहरा गए हैं।
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समाज में बढ़ रहा धार्मिक विभाजन
इन घटनाओं के बाद, कई राज्य जैसे हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मुसलमानों के खिलाफ आर्थिक बहिष्कार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन बयानों का असर न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी पड़ता है, जिससे समाज में सांप्रदायिक सौहार्द की भावना कमजोर हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के बयानों से न केवल धार्मिक हिंसा बढ़ सकती है, बल्कि समाज में नफरत और भेदभाव भी फैल सकता है।