सिर पर लटकती मौत: करंट लगने से हर दिन मारे जाते हैं 30 लोग

punjabkesari.in Thursday, Aug 01, 2019 - 12:07 PM (IST)

नई दिल्ली: बिजली का झटका लगने से हर दिन देश में करीब 30 लोग मारे जाते हैं। आपको यह आंकड़ा भले ही चौंकाने वाला लगे लेकिन प्रशासन इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा। बिजली कंपनियां अपना पैसा बचाने और रख-रखाव के अधिक खर्च के चलते तारों को अंडरग्राऊंड नहीं डालतीं। अकेले उत्तर प्रदेश में ही करंट लगने से मरने वालों की संख्या पिछले 7 सालों में बढ़कर दोगुनी हो गई है। 2012-13 में यह आंकड़ा 570 था जोकि 2018-19 में 1120 तक पहुंच गया। प्रशासन तभी हरकत में आता है जब कोई बड़ा हादसा हो जाए जैसे यू.पी. के बलरामपुर जिले में हाईटैंशन वायर के गिर जाने से स्कूल के 50 छात्र घायल हो गए थे।

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गांव वाले बिजली विभाग से काफी अर्से से इस तार को वहां से हटाने की मांग कर रहे थे। इस हादसे के बाद ही यू.पी. सरकार ने ऐसे स्कूलों की सूची बनाने के लिए कहा था जिनके ऊपर से हाईटैंशन वायर गुजरती है। प्रांतीय सरकार ने अब पुरानी तारों की मुरम्मत करने और बिजली के पारंपरिक खंबों की जगह नए खंबे लगाने की योजना बनाई है। राज्य में ऐसे कदम उठाए जाने की सख्त जरूरत है जहां पिछले 7 सालों में करंट लगने से 5700 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

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उधर, मध्य प्रदेश में 2016 में करंट लगने से 1708 लोगों की मौत हो गई। वहीं राजस्थान में बिजली कंपनियों की लापरवाही के चलते 2018-19 में 293 लोगों की मौत हो गई और 108 अन्य घायल हो गए। उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्त्ता अनिल का कहना है कि बिजली कंपनियों को सभी ऐसे क्षेत्रों का निरीक्षण करना चाहिए जहां बिजली की तार से करंट लगने का खतरा हो। वहीं एक पावर यूटीलिटी फर्म के अधिकारी का कहना है कि यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तारों मेंं फाल्ट की नियमित जांच करते हैं लेकिन हर बिल्डिंग को रोज चैक करना संभव नहीं है।

यूरोपियन देशों में अंडरग्राऊंड डाले जाते हैं तार
बिजली के तार अंडरग्राऊंड डालने से हादसों से बचा जा सकता है। यूरोपियन देशों में ऐसी ही व्यवस्था है। बिजली कंपनियां अंडरग्राऊंड तार डालने से इसलिए बचती हैं क्योंकि इससे उनका खर्च कई गुना बढ़ जाता है। इसी के चलते भारत जैसे देशों में छत के काफी करीब से हाईटैंशन वायर गुजरती हैं जोकि कभी भी हादसे का सबब बन सकती हैं। अजमेर में पिछले दिनों इसी तरह की एक घटना हुई जिसमें 10 साल की बच्ची रिया देवयानी अपने घर की छत पर हाईटैंशन वायर की चपेट में आकर बुरी तरह झुलस गई थी।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत जैसे देशों में सुरक्षा को लेकर कम जागरूकता है और तय मानकों के अनुरूप इलैक्ट्रानिक उपकरण इस्तेमाल में नहीं लाए जाते। बिजली के 2 खंबों के बीच की दूरी 50 फीट तक होनी चाहिए और खंबों की ऊंचाई कम से कम 18 फीट होनी चाहिए लेकिन इन गाइडलाइंस का अक्सर उल्लंघन किया जाता है।

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क्या कहती हैं बिजली कंपनियां?
लंबे समय से यह मांग की जा रही है कि बिजली की तारों को अंडरग्राऊंड डाला जाए लेकिन बिजली कंपनियों का तर्क है कि जिन घरों के साथ बिजली की तारें खतरनाक ढंग से मौजूद हैं उनमें से ज्यादातर घर अवैध कालोनियों में बने हैं और वहां पावर इंफ्रास्ट्रक्चर घरों के निर्माण के पहले से मौजूद था। इन कालोनियों को मंजूरी देने के लिए स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है इसलिए उन्हें ही बिजली की तारें अंडरग्राऊंड डालने के लिए भुगतान करना चाहिए।


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Seema Sharma

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