LIVE-किसान आंदोलन पर SC का केंद्र को नोटिस, किसानों से कहा- कोर्ट में आकर रखें अपनी बात

punjabkesari.in Wednesday, Dec 16, 2020 - 02:35 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आंदोलन राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को 21वें दिन भी जारी है। वहीं किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को ल्कर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और केंद्र सरकार को नोटिस भेजा। बता दें कि किसान नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं के निकट धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार को तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस ले लेना चाहिए और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देना चाहिए। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि किसानों को आंदोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत से समसया का समाधान करना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार (17 दिसंबर) को होगी। किसान आंदोलन से जुड़े हर अपडेट को जानने के लिए जुड़े रहे punjabkesari.in के साथ....

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क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई, इनमें दिल्ली की सीमाओं पर भीड़ इकट्ठा करने, कोरोना वायरस के संकट को लेकर याचिका लगाई गई है। इसके अलावा किसान आंदोलन (Farmers Protest) में मानवाधिकारों, पुलिस एक्शन और किसानों की मांग मानने की अपील भी शामिल थी। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने सुनवाई की और किसानों और केंद्र सरकार दोनों को नोटिस भेजा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसान कोर्ट में आकर अपनी बात रखें। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने को कहा, ताकि दोनों आपस में मुद्दे पर चर्चा कर सकें। अदालत में वकील जीएस मणि ने कहा कि मैं किसान परिवार से आता हूं, इसलिए अपील की है। इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि आपकी जमीन कहां हैं, वकील ने बताया कि उनकी ज़मीन तमिलनाडु में है। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि तमिलनाडु की स्थिति को पंजाब-हरियाणा से नहीं तोला जा सकता है। साथ कोर्ट ने पूछा कि रास्ते किसने बंद किए हैं, जिसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं।

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किसानों का कड़ा रुख
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना रुख कड़ा करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार से इन कानूनों को वापस ‘‘कराएंगे'' और कहा कि उनकी लड़ाई उस स्तर पर पहुंच गई है, जहां वे इसे जीतने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध'' हैं। उन्होंने कहा कि अपनी मांगों के लिए वे बुधवार को दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह जाम कर देंगे। सिंघू बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा कि सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं लेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे। उन्होंने कहा कि हम बातचीत से नहीं भाग रहे हैं लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्ताव के साथ आना होगा। कई अन्य किसान नेताओं ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और लोगों से आह्वान किया कि 20 दिसंबर को उन किसानों को श्रद्धांजलि दें, जिन्होंने प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गंवा दी। किसान नेता ऋषिपाल ने कहा कि नवंबर के अंतिम हफ्ते में प्रदर्शन शुरू होने के बाद रोजाना औसतन एक किसान की मौत हुई है। एक अन्य किसान नेता ने कहा, ‘‘प्रदर्शन के दौरान अपना जीवन गंवाने और शहीद होने वाले किसानों के लिए 20 दिसंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक देश के सभी गांवों और तहसील मुख्यालयों में श्रद्धांजलि दिवस का आयोजन किया जाएगा।

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किसानों की शंकाएं दूर करने के लिए सरकार 24 घंटे तैयार: मोदी
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि किसानों का कल्याण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है और उनकी शंकाओं के समस्याओं के समाधान के लिए 24 घंटे तैयार है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा और उन पर किसानों को भ्रमित करने की साजिश रचने का आरोप लगाया।

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मोदी ने कहा, ‘‘आज कल दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साजिश चल रही है। उन्हें डराया जा रहा है कि कृषि सुधारों के बाद किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई और कहा कि किसानों के आशीर्वाद की ताकत से...जो भ्रम फैलाने वाले लोग हैं, जो राजनीति करने पर तुले हुए लोग हैं, जो किसानों के कंधे पर बंदूक फोड़ रहे हैं...देश के सारे जागरूक किसान उनको भी परास्त करके रहेंगे।

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Seema Sharma

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