मणिपुर के 5 जिलों में 1853 अवैध गांव में बसे 15 हजार लोग

punjabkesari.in Wednesday, Mar 06, 2024 - 01:40 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पांच दिन पहले विधानसभा में कहा था कि म्यांमार बॉर्डर से सटे 5 पहाड़ी जिलों में अनजान गांवों की बाढ़ आ गई है। इससे मणिपुर की डेमोग्राफी बिगड़ गई है। सीएम ने अपने बयान में ऐसे गांवों की संख्या नहीं बताई थी, लेकिन दैनिक भास्कर को भू और राजस्व विभाग से मिले डेटा से पता चला है कि 2006 से अब तक मणिपुर के 5 पहाड़ी जिलों में 1853 अवैध गांव बस चुके हैं। ज्यादातर गांव मुख्य सड़क से 5-6 किमी अंदर घने जंगलों में हैं। यहां 15 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं और इनमें कई वोटर भी बन चुके हैं।

पिछले साल मई में हिंसा भड़कने की एक बड़ी वजह ये गांव भी थे। जिन पांच जिलों चूराचांदपुर, टेंग्नाउपोल, कांग्पोक्पी, उखरुल, चांदेल में ये अनजान गांव बसे हैं, वहां म्यांमार से आए चिन-कुकी की तादाद एकदम बढ़ी है। इनमें कांग्पोक्पी और टेंग्नाउपोल में नए गांव तेजी से बसे हैं।

हाल ही में सरकार ने म्यांमार से स्वतंत्र आवाजाही वाला समझौता रद्द करने के बाद से बॉर्डर पर निगरानी बढ़ा दी है। गृह मंत्रालय ने म्यांमार से सटे बॉर्डर पर फेंसिंग का काम शुरू कर दिया है। मणिपुर के मोरेह टाउन में 10 किमी से ज्यादा फेंसिंग लग चुकी है। म्यांमार सीमा पर बढ़ते गांव की संख्या चिंताजनक, रजिस्टेशन अनिवार्य हो।

म्यांमार और बांग्लादेश में आंतरिक अशांति के चलते यहां से मणिपुर में आकर बसने वाले लोगों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ी है। अब इस मुद्दे को लेकर सरकार जाग गई हैं और कड़ी कार्रवाई करने के संकेत दे रही है। अवैध गांवों में आकर बसने वाले लोगों का रजिस्ट्रेशन सरकार को अनिवार्य करना चाहिए ताकि राज्य में उनकी निगरानी हो सके। पहाड़ी हिस्सों में गांवों को मंजूरी देने की प्रक्रिया में सुधार और सरकारी विभागों में बेहतर तालमेल जरूरी है ताकि समस्या का हल निकाला जा सके।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Radhika

Recommended News

Related News