दांत साफ करने के इस तरीके से भी हो सकती है पुण्य की बरसात
punjabkesari.in Thursday, Mar 10, 2016 - 08:28 AM (IST)

दंतधावन से पहले दातुन को जल से धोकर इस मंत्र से अभिमंत्रित करने का विधान है-
आयुर्बलं यशो वर्च: प्रजा: पशुवसूनि च।
ब्रह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वं नो देहि वनस्पते।।
‘वनस्पते! तुम मुझे आयु, बल, यश, तेज, संतति, पशु, धन, ब्रह्मज्ञान, बुद्धि और धारणशक्ति दो। (पद्मपुराण, उत्तर. 12/12)
* दूधवाले तथा कांटे वाले वृक्ष दातुन के लिए पवित्र माने गए हैं। (सर्वे कंटकिन: पुण्यक्षीरिणश्च... लघुहारीत स्मृति 4/9)
* पलाश की लकड़ी का दातुन कभी न करें। (अथ पालाशं दंतधावन नाद्यात... विष्णु स्मृति 61)
* महुआ की दातुन से पुत्र लाभ होता है।
* आक की दातुन से नेत्रों को सुख मिलता है।
* बेर की दातुन से प्रवचन की शक्ति प्राप्त होती है।
* बेल और खैर की दातुन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
* कदंब से रोगों का नाश, अड़ूसा से सर्वत्र गौरव की प्राप्ति, चमेली से जाति में प्रधानता और पीपल की दातुन से दंतधावन करने से यश की प्राप्ति होती है। (दंतकाष्ठविधानं तु प्रथमं कथयामि ते... स्कंदपुराण, प्रभास 17/8-12)
* दातुन कनिष्ठिका अंगुली के अग्रभाग के समान मोटी, सीधी और 12 अंगुल की होनी चाहिए। (दंतानां शोधनं कुर्यात्काष्ठै: कुर्याद्... वसिष्ठ स्मृति 2, 6/17)