कुछ ऐसे लोग जिन्हें भोजन करवाने से मिटते हैं जाने-अनजाने किए गए पाप

punjabkesari.in Tuesday, Oct 18, 2016 - 10:18 AM (IST)

पंचम वेद महाभारत सनातन धर्म का मुख्य काव्य ग्रंथ है। यह जितना प्रमाणिक उस समय था उतना आज भी है। समस्त जीवों के लिए यह एक अनुकरणीय स्रोत है।महाभारत में लगभग 1,10,000 श्लोक हैं। जिनका पालन करने से जीवन को सुगम और सरल बनाया जा सकता है। महाभारत की एक नीति के अनुसार, कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें भोजन करवाने से जाने-अनजाने किए गए पापों का नाश हो जाता है।


श्लोक-
पितृन् देवानृषीन् विप्रानतिथींश्च निराश्रयान्।
यो नरः प्रीणयत्यन्नैस्तस्य पुण्यफलं महत्।।


* बेसहारा लोगों को भोजन करवाने से हर काम में सफलता मिलती है।


* न केवल महाभारत बल्कि अन्य हिंदू शास्त्रों के अनुसार भी अतिथि देवो भवः अर्थात घर आया मेहमान भगवान के समान होता है। घर आए मेहमान का आदर सत्कार करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। उन्हें भोजन करवाते समय मन में गलत भाव नहीं लाने चाहिए मन में गुस्सा, द्वेष, हिंसा आदि भावना लाने से कर्मों का फल नहीं मिलता। 


* पारिवारिक सदस्य स्वयं भोजन खाने से पहले भगवान को भोग लगाएं, फिर उसी भोजन को प्रसाद रूप में पाएंगे तो घर पर दैवीय कृपा बनी रहेगी। घर में वही शाक बनाना चाहिए जो भगवान को भोग प्रशाद के रूप में अर्पित किया जा सके। प्याज और लहसुन तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है जो कभी भी भगवान को अर्पण नहीं किया जाता इसलिए इन्हें नहीं खाना चाहिए। जो चीज आप भगवान को भोग लगा सकते हो, सदगुरु को अर्पण कर सकते हो वह चीज खाने योग्य है और जो चीज भगवान, सदगुरु को अर्पण करने में संकोच महसूस करते हो वह चीज स्वयं भी मत खाएं।  


* श्राद्ध पक्ष में पितरों को भोजन अर्पित किया जाता है ताकि वह प्रसन्न हों। इसके अतिरिक्त हर महीने अमावस्या पर भी पितरों के निमित्त अन्न दें। इससे जीवन में कोई भी परेशानी शेष नहीं रहेगी।


* वैष्णव, भक्तों, संत, महात्मा, ऋषि, धर्मात्मा, मुनि और गोसाई को भोजन करवाने से किए गए सभी पापों का प्रायश्चित हो जाता है।


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