मौजूदा बचत, निवेश दर से आठ प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करना संभव नहीं : रिपोर्ट
punjabkesari.in Thursday, Mar 30, 2023 - 07:01 PM (IST)

मुंबई, 30 मार्च (भाषा) अर्थव्यवस्था को दोबारा आठ प्रतिशत की वृद्धि दर के दौर में पहुंचाने के लिए बचत और निवेश दरों का 35 प्रतिशत के करीब होना बेहद जरूरी है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
वित्त वर्ष 2021-22 में बचत दर 30.2 प्रतिशत और निवेश दर 29.6 प्रतिशत थी।
इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, निवेश का एक बड़ा हिस्सा बुनियादी ढांचे में होना चाहिए। इससे आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को कम करके निजी निवेश को बढ़ाने में मदद मिल सकती है और बाहरी मांग में कमजोरी की भरपाई की जा सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बचत-निवेश अंतर को काबू में रखने के लिए उच्च घरेलू बचत के साथ उच्च निवेश करना होगा। सरकार ने बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए खास ध्यान दिया है, लेकिन बचत को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं।
सरकार आयकर ढांचे को सरल बनाने के लिए बचत के विभिन्न प्रोत्साहनों को लगातार खत्म कर रही है। इससे घरेलू बचत प्रभावित हो रही है, जो अर्थव्यवस्था में समग्र बचत का मुख्य आधार रहा है।
वित्त वर्ष 2020-21 में 6.6 प्रतिशत संकुचन के बाद चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। इससे पहले 2021-22 में वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत थी। अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि ये वृद्धि दर जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा लेने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। कार्यबल में युवा आबादी की बड़ी संख्या को देखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले दो-तीन दशकों में आठ प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
वित्त वर्ष 2021-22 में बचत दर 30.2 प्रतिशत और निवेश दर 29.6 प्रतिशत थी।
इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, निवेश का एक बड़ा हिस्सा बुनियादी ढांचे में होना चाहिए। इससे आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को कम करके निजी निवेश को बढ़ाने में मदद मिल सकती है और बाहरी मांग में कमजोरी की भरपाई की जा सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बचत-निवेश अंतर को काबू में रखने के लिए उच्च घरेलू बचत के साथ उच्च निवेश करना होगा। सरकार ने बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए खास ध्यान दिया है, लेकिन बचत को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं।
सरकार आयकर ढांचे को सरल बनाने के लिए बचत के विभिन्न प्रोत्साहनों को लगातार खत्म कर रही है। इससे घरेलू बचत प्रभावित हो रही है, जो अर्थव्यवस्था में समग्र बचत का मुख्य आधार रहा है।
वित्त वर्ष 2020-21 में 6.6 प्रतिशत संकुचन के बाद चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। इससे पहले 2021-22 में वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत थी। अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि ये वृद्धि दर जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा लेने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। कार्यबल में युवा आबादी की बड़ी संख्या को देखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले दो-तीन दशकों में आठ प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा।
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