खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम करने के लिये राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन की जल्द घेषणा करे सरकार: एसईए

punjabkesari.in Thursday, Oct 15, 2020 - 08:21 PM (IST)

मुंबई, 15 अक्टूबर (भाषा) खाद्य तेल उद्योग के संगठन ‘सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए)’ ने देश को खाद्यतेलों के मामले में ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए सरकार से जल्द से जल्द ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन’ (एनएमईओ) की घोषणा करने का आग्रह किया है।
एसईए ने कहा, ‘‘देश अपनी खाद्य तेल सुरक्षा के साथ गंभीर रूप से समझौता कर रहा है क्योंकि आयात पर हमारी निर्भरता हमारे उपभोग सीमा के लगभग 70 प्रतिशत तक बढ़ गई है। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि बिना किसी और देरी के राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन की घोषणा करें और इसकी सिफारिशों को लागू करें।’’ एसोसिएशन ने यह बात वित्त, कॉर्पोरेट मामलों, कृषि एव किसान कल्याण, वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामलों तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के मंत्रियों को लिखे पत्र में कही है।
एसईए ने एनएमईओ के तहत अपनी जो सिफारिशें सौंपी हैं उनमें सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और पाम तेल पर विशेष ध्यान देते हुये सालाना 4,000 से 5,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा किये जाने का सुझाव दिया गया है।
सिफारिशों में पंजाब और हरियाणा में गेहूं और चावल की कुछ फसल के स्थान पर सोया, सूरजमुखी, मक्का और सरसों खेती को प्रोत्साहन देने की बात कही गई है। पाम तेल को ‘बागान फसल’ घोषित करने और इस गैर-पारंपरिक स्रोत की पूरी क्षमता का दाहन किये जाने पर जोर दिया गया है।
एसईए की सिफारिशों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए जीएम (जीन स्तर पर संवर्धित) फसल की ओर रुख करने, किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके, इसके लिए खाद्यतेलों के आयात शुल्क को न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंद्ध करने और तिलहन विस्तार कार्यक्रम के लिए कर लाभ प्रदान करने का भी सुझाव शामिल है।
एसईए ने अपने पत्र में कहा है कि घोषणा में यह देरी न केवल उद्योग के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि कच्चे माल की आपूर्ति कम हो रही है, और खाद्य तेल के आयात पर हमारी निर्भरता साल दर साल बढ़ती जा रही है और इसलिए उसकी (एसईए) की सिफारिशों को बिना देरी के लागू किया जाना चाहिये।
एसईए ने कहा कि औसतन, भारत में 75 से 80 लाख टन वनस्पति तेल का उत्पादन होता है, जबकि यहां की मौजूदा मांग 2.25 से 2.3 करोड़ टन की है, जिसके कारण 1.5 करोड़ टन की मांग-आपूर्ति का अंतर बैठता है।


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PTI News Agency

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