Chhath Puja 2021: विधि पूर्वक संपन्न हुआ खरना, आज सांझ सूर्य को अर्घ्य

punjabkesari.in Wednesday, Nov 10, 2021 - 10:15 AM (IST)

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द्रौपदी ने राजपाट वापस प्राप्त करने के लिए रखा था छठ व्रत
नई दिल्ली:
‘कांची-कांची बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय’ और ‘केरवा जै फरेला गवद से, ओही पर सुग्गा मंडराय’ जैसे छठ के गीतों को सुर देते हुए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानि मंगलवार को व्रतधारियों ने खरना रखा। इस दिन को विशेष रूप से शुद्धिकरण के लिए जाना जाता है। 

निर्जल व्रत और रात में गुड की खीर, पुडी व फल खाकर बुधवार व गुरूवार के लिए व्रतधारियों ने खुद को तैयार किया। छठ व्रतधारियों के घरों से शाम को छठ के गीतों की मधुर धुन सुनते ही बनती थी। बता दें कि आज व्रतधारी अस्त होते सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे और समस्त जगत के कल्याण की कामना भी करते हैं। बता दें कि खरना के बाद से ही छठ मइया को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद जिसमें ठेकुआ, मालपूआ व चावल का गुड वाला लड्डू बनाना प्रारम्भ कर दिया जाता है। वहीं नियम के अनुसार लहसुन-प्याज का खाना पूर्ण रूप से वर्जित रहता है। 

इस दौरान स्वच्छता को विशेष महत्व दिया जाता है। छठ पर्व को नई फसल व खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है। खरना के अगले दिन यानि बुधवार को छठ पूजा में अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसका पौराणिक कथाओं में विशेष महत्व बताया गया है। षष्ठी तिथि के दिन ढलते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रतधारी उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। व्रतधारी शाम 4 बजे से ही कमर तक पानी में खड़े हो जाते हैं और हाथ में धूपबत्ती लेकर सूर्य की उपासना करते हैं और जैसे ही सूर्यदेव अस्त होते हैं, आसमान में लालिमा बिखर जाती है तब छठ मइया के लिए घर में बना प्रसाद व फल को सूप या बांस की टोकरी द्वारा अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रतधारी अपने-अपने घर जाकर कोसी भरते हैं और रातभर पूजा स्थान पर बने छठ मइया के स्थान पर अखंड ज्योति जलाई जाती है और घर के लोग धूप से हवन करते हैं। बता दें कि बिहार के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ, झारखंड, पश्चिम बंगाल व नेपाल में भी छठ का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

कोरोना को लेकर भी कर रहे हैं जागरूक
छठ पूजा समितियों द्वारा लगातार लोगों को कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूक करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। लोगों को लाउडस्पीकर पर बार-बार उद्घोषणा कर समझाया जा रहा है कि सामूहिक पूजा करने के दौरान भीड़भाड़ से बचें, ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। व्रतधारियों के साथ उनकी सहायता के लिए दो लोगों को ही घाट पर आने की अनुमति दी जा रही है।


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Content Writer

Jyoti

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