केंद्र की पहलकदमी के बिना हल नहीं होगी स्मॉग की समस्या: अमरेंद्र

punjabkesari.in Wednesday, Nov 08, 2017 - 10:50 PM (IST)

जालंधर(धवन): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा स्मॉग तथा बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उत्तरी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग को खारिज करते हुए कहा है कि स्थिति इतनी गंभीर बन चुकी है कि केवल केंद्र सरकार ही इस मसले का हल निकाल सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार को तुरंत किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए मुआवजा देना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों की बैठक में विचार-विमर्श करने से समस्या का हल निकलने वाला नहीं है क्योंकि स्थिति काफी गंभीर बन चुकी है। इस मामले में अनेक राज्य शामिल हैं इसलिए केंद्र सरकार के दखल के बिना होने वाली बैठक का कोई अर्थ नहीं होगा तथा न ही उसका कोई प्रभाव पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की वित्तीय मदद के लिए आगे आना चाहिए ताकि पराली प्रबंधन के लिए उन्हें पर्याप्त मदद दी जा सके। उन्होंने कहा कि दिल्ली की तरह पंजाब भी स्मॉग तथा प्रदूषण के प्रभाव में आया हुआ है जिस कारण पंजाब सरकार को राज्य में स्कूलों व अन्य संस्थाओं को बंद करना पड़ रहा है या उनके समय में परिवर्तन करना पड़ रहा है। पंजाब में स्थिति इतनी घातक हो चुकी है कि पिछले 2-3 दिन में सड़क दुर्घटनाओं में कई लोग मारे गए हैं।

अगर केंद्र दखल नहीं देता है तो स्थिति और गंभीर बन जाएगी। उन्होंने कहा कि वह पिछले एक वर्ष से केंद्र को इस समस्या का हल निकालने के लिए कह रहे हैं परंतु कोई कदम केंद्रीय स्तर पर नहीं उठाया गया। केंद्र सरकार को किसानों को धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर 100 रुपए प्रति किं्वटल बोनस देना चाहिए ताकि वे पराली प्रबंधन की तरफ देख सकें। पंजाब इस मामले में कुछ करने में समर्थ नहीं क्योंकि किसानों को वित्तीय मदद केंद्र सरकार के सहयोग के बिना नहीं दी जा सकती। 

उन्होंने कहा कि वैसे भी राज्य सरकार ने किसानों में जागृति पैदा करने के लिए काफी कदम उठाए हैं। पंजाब सरकार ने कुछ किसानों को प्रोत्साहन व आधारभूत ढांचा सुविधाएं भी दी हैं ताकि वे पराली को न जलाएं। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा कि पंजाब में इस मौसम में धान की कुल पैदावार 18 मिलियन टन होने की उम्मीद है जिस कारण 20 मिलियन टन अकेले पराली ही उत्पन्न होगी। इसे जलाने से रोकने के लिए सरकार अपने स्तर पर कुछ नहीं कर सकती। केंद्र को रक्षात्मक सहयोग के लिए आगे आना होगा।


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