स्कूल से बंक मार स्टूडेंट्स कर रहे मटरगश्ती, ‘मौन’ बना शिक्षा विभाग
punjabkesari.in Sunday, Nov 05, 2017 - 07:33 PM (IST)

चंडीगढ़, (विनोद राणा): चंडीगढ़ के स्कूलों में बच्चे स्कूल की दीवार फांदकर बंक मार रहे हैं। सवाल यह खड़ा होता है कि अगर बंक मारने वाले स्टूडैंट्स के साथ कोई अप्रिय घटना घट जाए तो जिम्मेदारी किसकी बनती है। स्कूल प्रशासन ऐसे बंक मारने वाले स्टूडैंट्स को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। मलोया स्थित गवर्नमैंट मॉडल सीनियर सैकेंडरी स्कूल में बच्चों के बंक मारने की ताजा तस्वीरें बताती हैं कि शिक्षा विभाग किस प्रकार लंबे समय से ऐसी घटनाओं पर ‘मौन’ बना हुआ है। हैरानी की बात है कि कई फीट ऊंची दीवार पर कांटेदार तार लगे होने के बावजूद बच्चे आसानी से बंक मार रहे हैं। अक्सर देखने में आता है कि 9वीं कक्षा से 12वीं तक के बच्चे ज्यादातर दीवार फांद व गेट क्रॉस कर स्कूल से बंक मारते हैं।
टीचरों का नहीं खौफ
मलोया के गवर्नमैंट सीनियर सेकैंडरी स्कूल में पिं्रसीपल के ऑफिस के बाहर दीवार पर बच्चे चढ़ते नजर आते हैं। उन्हें इस बात का कतई खौफ नहीं कि किसी टीचर या प्रिंसिपल की नजर उन पर पड़ जाएगी। ऐसे में उन्हें दंडित होने का भी डर नहीं रहा। वहीं अहम बात है कि पिं्रसीपल रूम से बच्चों का दीवारों पर चढऩा दिखता है, मगर फिर भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती।
बंक मारकर कहां जाते हैं बच्चे
स्कूल से बंक मारने वाले बच्चे पूरी तैयारी कर के आते हैं। ऐसा मौके की खींची फोटो से साफ होता है। संबंधित फोटो में साफ दिख रहा है कि दीवार फांदता एक बच्चा जींस की पेंट और स्पोट्र्स शूज पहने हुए है। वहीं दूसरे ने स्पोट्र्स शूज पहने हुए हैं। आखिर बच्चे शिक्षा व अपने भविष्य को ताक पर रख बंक मार कहां जाते हैं। इतना तो साफ है कि घर नहीं जाते होंगे फिर इसमें कोई हैरानी नहीं अगर यही बच्चे पार्कों में सिगरेट पीते, किसी गार्डन में बैठे या सिनेमा में घूमते नजर आए। ऐसे में देश के भविष्य को बचाने में स्कूल प्रबंधन ही नहीं बल्कि शिक्षा विभाग भी सवालों के घेरे मेें आता है।
कहीं यह तो नहीं डर खत्म होने की वजह :
स्कूलों से बंक मारने या छात्रों द्वारा स्कूल में करने वाली गलत हरकतों को लेकर उनका डर पहले के मुकाबले नहीं रहा है। पहले जहां किसी बच्चे के शरारत करने व बंक मारने जैसी घटना का पता लगने पर बच्चे को सबक सिखाने व सुधारने के लिए उसकी ङ्क्षखचाई की जाती थी वह अब नहीं रही। इसका बड़ा कारण द राइट ऑफ चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन एक्ट, 2009 की धाराएं हैं। यह टीचर द्वारा स्टूडैंट््स को शारीरिक रुप से दंडित करने और मानसिक रुप से प्रताडि़त करने से रोकता है।
कोट्स :
स्कूल की दीवारों से बच्चों द्वारा फांदकर बंक मारने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कई बार विभाग को लिख कर दिया जा चुका है। फिर भी उनकी ओर से इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में हम अपने निजी फंड से स्कूल की दीवारों पर ऊंची फैंसिंग करने बारे विचार कर रहे हैं।
-कमलेश, प्रिंसिपल, जी.एम.एस.एस.एस. मलोया।