गोविंदाचार्य, उमा भारती और कल्याण सिंह के रास्ते पर तोगडिय़ा ?

punjabkesari.in Friday, Jan 19, 2018 - 09:47 AM (IST)

जालन्धर(पाहवा): एन. गोविंदाचार्य, उमा भारती और कल्याण सिंह का नाम सामने आते ही फायर ब्रांड कुछ नेताओं के धधकते चेहरे सामने आ जाते हैं। ये सब भी संघ परिवार से आए थे, मगर इन सभी ने परिवार का अनुशासन तोड़ा, जिसकी कीमत इन्हें हाशिए पर जाकर चुकानी पड़ी। गोविंदाचार्य, भाजपा की कड़ी निंदा तो करते थे मगर वह किसी और पार्टी से नहीं जुड़े।

वहीं, कल्याण सिंह और उमा भारती ने तो दूसरी सियासी पार्टियों में भी किस्मत आजमाई।हालांकि आखिरकार दोनों ही नेताओं को परिवार में वापस आना पड़ा। लेकिन इस वजह से उनकी हैसियत संघ परिवार के भीतर काफी कम हो गई। जब इन नेताओं ने संघ परिवार से अलग होकर सियासी दाव खेले तो वे कामयाब नहीं रहे। ऐसे में सवाल पैदा हो रहा है कि विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख प्रवीण तोगडिय़ा संगठन के खिलाफ चल कर कितना सफल हो पाएंगे। लेकिन अभी तक तोगडिय़ा चल उसी राह पर रहे हैं जिस पर उक्त नेतागण चल रहे थे। 

इन सब में कुछ अलग है तो वह है अशोक सिंघल जिनकी कोई सियासी महत्वाकांक्षा नहीं थी लेकिन तोगडिय़ा गुजरात की राजनीति में दखल देना चाहते थे। जब तोगडिय़ा ने देखा कि उनके सामने नरेंद्र मोदी जैसे मजबूत विरोधी है तो उन्होंने राज्य भर में विश्व हिंदू परिषद के काडर को एकजुट करके मोदी का विरोध किया। 2002 से लेकर गुजरात के हर विधानसभा चुनाव में, तोगडिय़ा ने अपनी जाति का दाव खेलकर मोदी को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश की (प्रवीण तोगडिय़ा एक पटेल हैं)। 2007 व 2012 के चुनाव में उन पर कांग्रेस को छुप-छुपाकर समर्थन करने का आरोप है जबकि संघ और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने ऐसा न करने की सलाह दी थी। ऐसा लग रहा था कि प्रवीण तोगडिय़ा अपने मुट्ठी भर समर्थकों के साथ अकेले ही लड़ाई लडऩे पर अमादा थे।


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