28 दिसंबर के बृहस्पतिवार, तिजोरी में इसे रखें पीले कपड़े में बांधकर

punjabkesari.in Wednesday, Dec 27, 2017 - 10:50 AM (IST)

कल गुरुवार दि॰ 28.12.17 पौष शुल्क दशमी व अश्विनी नक्षत्र मेल और शाकंभरी महोत्सव के तीसरे दिन देवी कनक दुर्गा का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। कनक का अर्थ है सुवर्ण अर्थात सोना। अतः कनक दुर्गा का संबंध सोने के धातु व जीवन में समृद्धि से है। शास्त्रनुसार देवी कनक दुर्गा के आशीर्वाद से ही अर्जुन को शिव की कठोर तपस्या के फलस्वरूप पाशुपतास्त्र प्राप्त हुआ था। शास्त्रनुसार जगदंबा ने दुर्गमांसुर के वध हेतु कनक दुर्गा का अवतार लिया था। इसी के तहत देवी कनक दुर्गा ने कीलाणु को पर्वत बनाकर स्थापित किया। इसी इंद्र-किलाद्रि पर्वत पर इंद्र ने देवी की उपासना की। इंद्र-किलाद्रि पर्वत पर ब्रह्मा ने भगवान शंकर की मल्लेलु अर्थात बेला के पुष्पों से आराधना भी की थी, और यहीं मल्लेश्वर नामक शक्तिलिंग देवी कनक दुर्गेश्वरी के भैरव के रूप में स्थापित है। आदिगुरु शंकराचार्य ने भी यहीं अपना श्रीचक्र स्थापित करके कनक दुर्गा व मल्लेश्वर महादेव का पूजन किया था। देवी कनक दुर्गेश्वरी के विधिवत उपाय व पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मुश्किल काम भी आसानी से पूरे होते हैं। 


विशेष पूजन विधि: पीतवर्ण दुर्गा के चित्र का विधिवत पंचोपचार पूजन करें। घी का दीप करें, सुगंधित धूप करें। केसर से तिलक करें। गेंदे के फूल चढ़ाएं, गुड़-चने का भोग लगाएं। किसी माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन उपरांत भोग पीली आभा लिए गाय को खिलाएं। 


पूजन मुहूर्त: शाम 15:30 से शाम 16:30 तक है। 
पूजन मंत्र: ॐ कन्यकायै दुर्गाय नमः॥


उपाय
कार्य सफलता के लिए देवी दुर्गा पर मिश्री चढ़ाकर सेवन करें।


पारिवारिक खुशहाली हेतु कनक दुर्गेश्वरी पर चढ़ी गेहूं घर की दक्षिण दिशा में स्थापित करें।


समृद्धि हेतु कनक दुर्गेश्वरी पर चढ़ी सूखी साबुत लाल मिर्च पीले कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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