तमिलनाडु के छात्रों की पहुंच से दूर हैं ब्रेल लिपि वाली किताबें

punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2018 - 04:41 PM (IST)

नई दिल्ली : तमिलनाडु के नेत्रहीन छात्र ब्रेल लिपि वाली पुस्तकों के दूसरी किताबों से 30 प्रतिशत ज्यादा महंगी होने और विभिन्न विषयों की ब्रेल वाली पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता अपर्याप्त होने के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। शहर के एक कॉलेज से इतिहास में स्नातक की पढ़ाई कर रही नेत्रहीन छात्रा वेलैयामल एम  ने कहा कि ब्रेल पाठ्यपुस्तकों की कीमत अकसर बहुत ज्यादा होती है।  

उसने  कहा, ‘‘मैं अपने सठपाठियों ( जो नेत्रहीन नहीं हैं) से सामान्य पाठ्यपुस्तकों से बोलकर पढऩे का अनुरोध करती हूं, उसे रिकार्ड कर बार बार सुनती हूं ताकि विषय को समझ सकूं।’’छात्रा ने साथ ही कहा कि तुलनात्मक राजनीति जैसे कई विषयों की किताबें ब्रेल लिपि में मौजूद नहीं हैं। वेलैयामल और विग्नेश्वरी जैसे दूसरे नेत्रहीन छात्र-छात्राओं ने कहा कि ब्रेल किताबें सामान्य किताबों से कम से कम 30 प्रतिशत ज्यादा महंगी हैं और यह कीमत 50 से 60 प्रतिशत तक ज्यादा हो सकती है। राज्य सरकार द्वारा संचालित मैरीज कॉलेज सहित विभिन्न संस्थानों में पढऩे एवं यहां के एक छात्रावास में रहने वाली  वेलैयामल जैसी छात्राएं और छात्र समाज के सामाजिक एवं आर्थिक  रूप से पिछड़े वर्गों से आते हैं और इतनी महंगी किताबें खरीदना उनके लिए संभव नहीं होता। 

2011 की जनगणना के मुताबिक तमिलनाडु में शारीरिक रूप से अशक्त लोगों की संख्या 11,79,963 थी जिनमें से नेत्रहीनों की संख्या 1,27,405 है।ब्रेल किताबों की कीमत को लेकर बुकसेलर्स एंड पब्लिशर्स एसोसियेशन ऑफ साउथ इंडिया के कार्यकारी सदस्य आर एम मेय्यप्पन ने कहा,म‘‘पूरा प्रकाशन उद्योग कई समस्याओं का सामना कर रहा है, खासकर जीएसीटी व्यवस्था और नोटबंदी के लागू होने के बाद से समस्याएं बढ़ गयी हैं।’’


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