महाभारत में बताया है मृत्यु से जुड़ा ये गहरा राज

punjabkesari.in Friday, Jul 01, 2016 - 07:55 AM (IST)

वेदों में स्पष्ट लिखा है कि गौ रुद्रों की माता और वसुओं की पुत्री है। अदिति पुत्रों की बहन और घृतरूप अमृत का खजाना है। इसलिए र्निलिप्त भाव से पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए व्यक्ति को नित्य गौ माता की सेवा करनी चाहिए। महाभारत कहता है-

यत्पुण्यं सर्वयज्ञेषु दीक्षया च लभेन्नर:। तत्पुण्यं लभते सद्यो गोभ्यो दत्वा तृणानि च।।

अर्थात सारे यज्ञ करने में जो पुण्य है और सारे तीर्थ नहाने का जो फल मिलता है वह फल गौ माता को चारा डालने से सहज ही प्राप्त हो जाता है।

 

विष्णुधर्मोत्तरपुराण के अनुसार व्यक्ति के किसी भी अनिष्ट की निवृत्ति के लिए गौ माता के पूजन का विधान किया गया है। अनेक तरह के अरिष्टकारी भूचर, खेचर और जलचर आदि दुर्योग उस व्यक्ति को छू भी नहीं सकते जो नित्य गौ माता की सेवा करता है या फिर रोज गौ माता के लिए चारे या रोटी का दान करता है।  

 

जो व्यक्ति प्रतिदिन भोजन से पहले गौ माता को ग्रास अर्पित करता है वह सत्यशील प्राणी श्री, विजय और ऐश्वर्य को प्राप्त कर लेता है। जो व्यक्ति प्रात:काल उठने के बाद नित्य गौ माता के दर्शन करता है, उसकी अकाल मृत्यु कभी हो ही नहीं सकती। यह बात महाभारत में बहुत ही प्रामाणिकता के साथ कही गई है।

 

जहां गौ माता हो, यदि ऐसे स्थान पर कोई भी व्रत, जप, साधना, श्राद्ध, तर्पण, यज्ञ, नियम, उपवास या तप किया जाता है तो वह अनंत फलदायी होकर अक्षय फल देने वाला हो जाता है इसलिए श्राद्ध करते समय गौ माता का भाग अवश्य निकाले और कुत्ते को भी भोजन अवश्य करवाएं क्योंकि इसे यमराज का पशु माना गया है, श्राद्ध का एक अंश इनृको देने से यमराज प्रसन्न होते हैं हो सके तो काले कुत्ते को ही भोजन करवाएं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News