जम्मू सैन्य शिविर में मारे गए आतंकियों के शवों को भी पाक ने लेने से किया इंकार

punjabkesari.in Tuesday, Feb 20, 2018 - 10:10 AM (IST)

जम्मू : गत दिवस जम्मू शहर के बाहरी क्षेत्र सुंजवां में एक सैन्य शिविर पर आक्रमण के दौरान मारे गए आत्मघातियों के शवों को पाकिस्तान ने लेने से इंकार कर दिया है और भूतकाल की तरह यह कह दिया है कि ये लोग हमारे नहीं थे, लेकिन यह पहला अवसर नहीं है कि पाकिस्तान ने उग्रवादियों के शवों को लेने से इंकार किया हो। पाकिस्तान एक विचित्र देश है कि वह अपने युवकों को विघटनकारी और उग्रवाद के लिए प्रयोग तो करता है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कारणों को ध्यान में रखकर उनके शवों को अपनाने के लिए तैयार नहीं होता।

उल्लेखनीय है कि 1999 में पाकिस्तान के सैनिक जनरलों ने कारगिल में एक बड़ी घुसपैठ करवाई तथा पहाडिय़ों पर कब्जा तक कर लिया, मगर भारतीय सैनिकों की जवाबी कार्रवाई में अधिकांश घुसपैठिए मारे गए या कुछ भाग गए थे, जिनके शवों की वापसी के लिए भारत ने पेशकश की तो पाकिस्तान की सरकार ने इन शवों को लेने से इंकार करते हुए कहा था कि ये हमारे लोग नहीं हैं।

कुछ समय पश्चात सरकार बदलने के साथ ही पाकिस्तान की सैनिक सरकार ने दबाव के कारण यह मान लिया कि ये उनकी वाहिनी के लोग थे जो मारे गए हैं, जिनकी संख्या 700 से अधिक कही गई। इस तरह और भी कई मामलों में पाकिस्तान ने न केवल शव लेने से इंकार किया, बल्कि घुसपैठ करने वालों को नॉन-स्टेट होल्डर कह कर पल्ला झाड़ दिया। केवल इतना ही नहीं, संघर्ष विराम के समझौतों का बार-बार उल्लंघन किया जाता है।

जब इस ओर से जवाबी कार्रवाई होती है तो उस पार की शहरी जनसंख्या को ईश्वर के भरोसे छोड़ दिया जाता है अर्थात पाकिस्तान के सत्ताधारियों ने एक विचित्र-सा मन बना रखा है और अब लगता है कि सब कुछ पाकिस्तानी सैनिक जनरलों तक ही सीमित होकर रह गया है। इस वर्ष के शुरू के पहले 7 सप्ताहों में पाकिस्तान की ओर से इस ओर गोलाबारी और कुछ अन्य कार्रवाइयों में 2 दर्जन के लगभग सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए हैं।

सूचना के अनुसार भारत की जवाबी कार्रवाई में सीमा पार कई सैनिक चौकियां नष्ट होकर रह गई हैं और वहां मारे जाने वाले सैनिकों की संख्या 136 बताई जाती है, लेकिन पाकिस्तान के प्रसार माध्यमों से कुछ और ही आंकड़े देकर अपनी पीठ थपथपाई जा रही है।  


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